नमस्कार किसान भाईयो, अंक 14 में आप सोयाबीन कि विस्तृत जानकारी
हमारे YouTube चैनल " आई सी ए आर - भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान इंदौर " में आपका स्वागत है, जो सोयाबीन उत्पादकों की समस्याओं को हल करने और उत्पादकता के स्तर को बढ़ाने में सक्षम नई और बेहतर तकनीकों और प्रथाओं के विकास और प्रसार के लिए समर्पित है। यहां, हम अपने विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों को ला रहे हैं जिनके पास सोयाबीन की फसल पर काम करने का समृद्ध अनुभव है।
" मध्य भारत समाचार अंक - 14 || Madhya Bharat Samachar Part - 14 "
Hello Farmers,
Welcome to our YouTube channel "ICAR - INDIAN INSTITUTE OF SOYBEAN RESEARCH INDORE" dedicated for development and dissemination of new and improved technologies and practices which are able to solve the problems of soybean growers and increase the productivity levels. Here, we are brining our experts and scientists who are having rich experience of working on soybean crop.
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सलाह
* सोयाबीन की शीघ्र समयावधिमें पकनेवाली किस्मों की उचित समय पर फसल की कटाई करे जिससे फलियों के चटकने से होने वाले नुकसान को टाला जा सके.
• चक्रभृंगकेनियंत्रणहेतुथायक्लोप्रिड 21.7 एस.सी. (750 मिली/हे)याप्रोफेनोफॉस 50 ई.सी. (1250 मि.ली./है) यापुर्वमिश्रित बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/है) याथायमिथोक्सम़ + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मिली./है) याइमामेक्टीन बेन्जोएट(450मिली/ है)का छिड़काव करें.यहभीसलाहहैकिइसकेफैलावकीरोकथामहेतुप्रारंभिकअवस्थामेंहीपौधेकेग्रसितभागकोतोड़करनष्टकरदें.
• चक्रभृंगतथापत्तीखानेवालीइल्लियोंकेएकसाथनियंत्रणहेतुपूर्वमिश्रित कीटनाशक नोवाल्युरौन + इन्डोक्साकार्ब(850 मिली/है)याबीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/है) याथायमिथोक्सम़ + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मिली./है) का छिडकाव करें. इनकेछिडकावसेतनामक्खीकाभीनियंत्रणकियाजासकताहैं.
• चने की इल्ली (हेलिकोवेर्पा अर्मिजेरा) तथाहरी सेमीलूपर इल्ली के नियंत्रण हेतुलैम्ब्डा सायहलोथ्रिन 4.90 सी.एस. (300 मिली/हे.) या इन्डोक्साकार्ब 15.8 ई.सी. (333मिली/हे) या फ्लूबेंडियामाइड 39.35 एस.सी. (150 मिली/हे) या फ्लूबेंडियामाइड 20 डब्ल्यूजी (250-300 ग्रा/हे) यास्पायनोटेरम 11.7 एस.सी. (450 मिली/हे) याइमामेक्टीन बेन्जोएट (425 मिली/ है.)का छिडकाव करें.
• पीला मोज़ेक रोग के नियंत्रण हेतु सलाह है कि तत्काल रोग ग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़ कर निष्कासित करें तथा इन रोगों को फ़ैलाने वाले वाहक सफ़ेद मक्खी की रोकथाम हेतु पुर्वमिश्रित बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/है) या थायमिथोक्सम़ + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मिली./है) का छिड़काव करें. यह भी सलाह है कि सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण हेतु कृषकगण अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं.
• सोयाबीन की फसल में एन्थ्राक्नोज तथा रायजोक्टोनिया एरियल ब्लाइट जैसे फफूंद जनित रोगों के नियंत्रण हेतु सलाह हैं की टेबूकोनाजोल(625मिली/हे)याटेबूकोनाजोल+सल्फर(1 किग्रा /हे) या पायरोक्लोस्ट्रोबीन 20 डब्लू.जी (500 ग्राम/हे) या पायरोक्लोस्ट्रोबीन + इपोक्सीकोनाजोल (750मिली/हे) या फ्लुक्सापायरोक्साड (300 मिली/हे) या
टेबूकोनाजोल + ट्रायफ्लोक्सीस्ट्रोबिंन (350 ग्रा/हे) का छिडकाव करें.
• कृषकोंको सलाह हैं कि केवल उन्ही रसायनों का प्रयोग करे जिनकी सोयाबीन की फसल पर अनुशंसा की गई हैं. यह भी सलाह हैं कि पौध संरक्षण केलिए अनुशंसित रसायनों का उचित लाभ लेने के लिए पर्याप्त पानी की मात्रा(नेप्सेक स्प्रेयर के से500 ली/हे या पॉवर स्प्रयेर से 120 ली/हे)का प्रयोग करें.
• यह भी सलाह हैं कि बीज उत्पादन के लिए लगाईं गई किस्म/फसलसेफूलों का रंग, पत्तियों का आकार/बनावट या रोये की उपस्थिति या अनुपस्थिति के आधार पर अन्य/मिश्रित किस्म के पौधेनिकालकर खेत से निष्कासित करे जिससे बीज उत्पादन में अधिकाधिक शुद्धता सुनिश्चित की जा सके.
• सोयाबीनकीफसलमेंपक्षियोंकीबैठनेहेतु “T” आकारकेबर्ड-पर्चेसलगाये . इससे भी इल्लियों की संख्या कम करने में सहायता मिलती है.
• किसी भी प्रकार का कृषि-आदान क्रय करते समय दूकानदार से हमेशा पक्का बिल लें जिस पर बैच नंबर एवं एक्सपायरी दिनांक स्पष्ट लिखा हो.
अन्य विस्तार से जानकारी के लिए हमारे YouTube चैनल के विडियो देखे या इस विडियो के अंत में सलाह के रूप अंतिम क्षणों में जिन विडियो को देखने कि सलाह दी जा रही है आवश्य देखे |
निर्देशन : डॉ नीता खांडेकर कार्यवाह निदेशक
विशेष आभार : डॉ. सुनील दत्त बिल्लौरे, प्रधान वैज्ञानिक (सस्य विज्ञान)
प्रोडक्शन टीम डॉ बी.यू. दुपारे डॉ सविता कोल्हे डॉ एम शिवकुमार डॉ वी नटराजन एवं गणेश कुमार बड़ोले (युवा प्रोफेशनल)
समाचार वाचक डॉ बी.यू. दुपारे डॉ सविता कोल्हे
संपादन डॉ बी.यू. दुपारे एवं गणेश कुमार बड़ोले (युवा प्रोफेशनल)
भा.कृ.अनु.प. भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, खंडवा रोड़, इंदौर (मध्यप्रदेश), भारत
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