This video will give you the glimpses of Pokhram Holi baithki 2023. There are very precious moments. Lot of time has been put to make this video and capture those lovely moments. If you enjoy , please share this video. This will be your contribution towards spreading the baithki holi culture ( kumaoni Classical Holi).
और इस तरह होली सीजन 2023 भी चला ही गया। हर बार की तरह इस बार भी नए अनुभव रहे। बल्कि यह वर्ष तो कई मायनों में बेहद खास रहा। पोखरम होली का यह 8वां वर्ष था। इस बार के challenges अलग तरह के थे। उसी दिन अन्य जगहों पर बड़ी होली बैठक होने की वजह से यह संकट था कि पोखरम होली में कितने आर्टिस्ट आ पाएंगे। कुल मिलाकर शांतिपूर्ण तरीके से हमारी समृद्ध परंपरा के कई अद्भुत रंग देखने को मिले और आनंद की यह वर्षा सुबह तक होती रही। कुछ young आर्टिस्ट को भी मंच मिला अपनी कला प्रदर्शित करने का और इनका यही इंटरेस्ट धीरे धीरे हमको बेहतरीन होल्यार देगा। कुमाऊनी बैठकी होली इस समय एक ट्रांजीशन पीरियड से गुजर रही है। नयी प्रतिभाएं जुड़ेंगी तो rich tradition को हम दीर्घकाल तक जीवित रख पाएंगे। भौतिकतावादी युग में अंततः प्यास अध्यात्म की ही रह जाती है और हमारे पास तो इस फॉर्म में इतना बड़ा साधन उपलब्ध है कि हमें कहीं और जाने की जरुरत ही नहीं।
सभी आर्टिस्ट्स का हृदय से धन्यवाद। वो न आते तो हम क्या ही कर पाते। सभी सुधीजनों का, होली रसिकों का कैसे धन्यवाद करें कि वो इतनी दूर दराज से आये जो कई बार आश्चर्यजनक भी लगता है लेकिन उम्मीद की एक नयी किरण भी जगाता है।
पोखरम के हमारे सभी सहयोगी जिन्होंने भोजन, आतिथ्य, पार्किंग, मीडिया, फोटो वीडियोग्राफी आदि व्यवस्थाओं को संभाला, भरपूर रूचि ली, और पूरे मन से निभाया , बहुत ऋणी हूँ। सहयोग की यह भावना हमेशा बरक़रार रहे।
स्मृति में तो बहुत कुछ रहेगा लेकिन कुछ क्षण बार बार देखने का भी अपना मज़ा है। इसलिए पूरा वीडियो देखा जा सकता है। यह एक तरह डॉक्यूमेंटेशन जैसा भी है, बानगी भर है जिससे मालूम होता है कि किसी ज़माने में कितनी बेहतरीन बैठक होती होंगी। इस बीच videos शेयर करता रहूँगा इसलिए बेहतरीन कंटेंट के लिए सब्सक्राइब करें शेयर करें youtube channel viaHills .
इस बरस पहाड़ की बहुत sittings में जाना हुआ। होली ने जाते जाते उदासी से भर दिया है। जैसे कुछ छूट सा गया है । वर्षों बाद आनंद की ऐसी वर्षा में जी भर के भीगना हुआ और यह भीगना कोई सामान्य घटना नहीं है । इसके लिए बहुत जतन करना पड़ता है । मुझे यह थोड़ा आसानी से मिल गया । वैसे भी कहा गया है कलियुग केवल नाम अधारा सुमिर सुमिर नर उतरहिं पारा। और यहाँ तो नाम सुमिरनी की भी जरूरत नही थी। स्वाभाविक रूप से ही हो जा रहा था। अमृत बँट रहा था , कुछ प्रारब्ध रहा होगा कुछ अच्छे कर्म रहे होंगे कि हमारे हिस्से भी आया। इस divine फीलिंग के लिए हृदय की अनंत गहराइयों से प्रणाम। जिसकी भी spiritualism में थोड़ा बहुत रूचि है उसे बैठकी होली से जुड़ना चाहिए। यह सारा प्रकरण ही ईश्वर को रिझाने का है । बैठकी होली का यह एक माह न जाने कैसा मार्ग खोल दे । और कौन जाने क्या खोज हो जाये, क्या मिल जाये !
सच ही कहा गया है - जो नर जीवें खेलें फाग। इसी उम्मीद और विश्वास के साथ फिर मिलेंगे अगले बरस।
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