दोस्तों रात के तीसरे प्रहर में जब चारों ओर सन्नाटा पसरा हो, जब हवा भी धीरे-धीरे सरसराने लगे जब आकाश में चमकते तारे भी किसी रहस्य की गवाही दे रहे हों तब कोई अदृश्य शक्ति ब्रह्मांड में विचरण करती है।
ये वो शक्ति है, जो सृजन भी कर सकती है और संहार भी कर सकती है। ये वो शक्ति है, जो अंधकार में भी प्रकाश का संचार कर सकती है और जब संसार पाप, अधर्म और अज्ञान के अंधकार में डूबने लगे तो यही शक्ति अवतार लेती है।
जी हां दोस्तों हम बात कर रहे हैं कालो के काल महाकाल भगवान शिव की।
वो महादेव, जो केवल एक देवता नहीं, बल्कि सृष्टि की अनंत ऊर्जा के प्रतीक हैं। जिनकी जटाओं से गंगा बहती है, जिनकी तीसरी आंख से काल का नाश होता है, जिनके तांडव की एक गूंज से ब्रह्मांड हिल जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिव ने केवल एक रूप में नही, बल्कि अलग-अलग समय पर उन्नीस अवतारों में इस धरती पर प्रकट होकर अधर्म का नाश किया?
पर सवाल ये है…
कौन थे भगवान शिव के ये उन्नीस रहस्यमयी अवतार? और क्यों और कब उन्होंने इन रूपों में अवतार लिया?
क्या इन अवतारों की कहानियां सिर्फ पौराणिक कथाएं हैं, या इनके पीछे कोई गहरी सच्चाई छिपी है? भगवान शिव के इन अवतारों के पीछे कोई साधारण कथा नही, बल्कि कुछ ऐसे रहस्य छिपे हैं जो आपको चौंका सकते हैं। कभी उन्होंने अपने भक्तों की रक्षा के लिए भयंकर रुद्र रूप धारण किया, तो कभी स्वयं एक बालक बनकर धरती पर विचरण किया।
आज हम आपको सुनाने जा रहे हैं, महादेव के उन्नीस अवतारों की वो रहस्यमयी गाथाएं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। कुछ अवतारों को वेदों और पुराणों में वर्णित किया गया है, तो कुछ अवतार ऐसे भी हैं जिनकी गाथाएं लोक कथाओं में बिखरी हुई हैं।
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