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श्याम मोहिं देहु प्रेम निष्काम - भाग 3/3 - रागानुगा भक्ति एवं भाव भक्ति

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श्रीकृष्ण की नित्य सेवा प्राप्त करना ही प्रत्येक जीव का अन्तिम लक्ष्य है तदर्थ निष्काम प्रेम प्राप्त करना होगा। निष्काम प्रेम प्राप्ति की साधना तो तभी प्रारम्भ हो सकती है जब हम निष्काम प्रेम का अर्थ भली भाँति समझे। संसार में भी प्रेम शब्द बोला जाता है, किन्तु प्रेम क्या है, सकाम निष्काम प्रेम का क्या रहस्य है इत्यादि प्रश्नों का समाधान होना परमावश्यक है। तब ही कोई साधक अपने लक्ष्य की ओर तेजी से अग्रसर हो सकेगा। यह प्रवचन श्रृंखला पुस्तक के रूप में भी उपलब्ध है : https://www.jkpliterature.org.in/nishkam-prem The right to the video belongs to Jagadguru Kripalu Parishat. © Jagadguru Kripalu Parishat. All rights reserved.

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