प्रश्नकर्ता: नमस्कार, आचार्य जी। मैं पिछले दो महीने से गीता सत्र से जुड़ा हुआ हूँ। मेरे साथ एक समस्या है।आचार्य जी, मैं बचपन से अपने मम्मी-पापा को लड़ते-झगड़ते हुए देख रहा हूँ। इस समय मेरी उम्र फोर्टी-नाइन-ईयर्स (४९) की हो गई है और आज मेरे पिता जी की ऐज पचहत्तर साल (७५) और मम्मी की ऐज सत्तर साल (७०) करीब है। अभी पिछले वीक (सप्ताह) एक घटना घटी, जिससे मैं बहुत परेशान हूँ। वो आज भी, इतनी उम्र के बाद भी अभी भी लड़ते रहते हैं। और एक दिन अभी, पिछले हफ़्ते उनमें इतनी लड़ाई हो गई, और बहुत छोटी-छोटी बातें रहती हैं, बहुत बड़ी बातें नहीं रहती, अगर आप उसको समझें तो बहुत, वो होता है कि ‘क्या है ये, ये भी कोई लड़ाई की बातें हो सकती हैं?’