केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान, (काजरी) में इन दिनों टिशू कल्चर्ड खजूर पर चल रहा प्रयोग बेहद सफल रहा है। इस वर्ष गुणवत्तापूर्ण फलों का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है, औसतन उपज लगभग 100 किग्रा प्रति पौधा और गुच्छों का वजन 10-12 किग्रा तक प्राप्त हुए हैं।
वैज्ञानिक प्रबंधन के तहत एडीपी -1 किस्म के फल जून के पहले सप्ताह में ही तुड़ाई के लिए तैयार हो गए हैं जो कि अन्य लोकप्रिय किस्मों की तुलना में लगभग 20-25 दिन पहले आ गए हैं। यही कारण है कि फलों की बिक्री 1 जून से ही शुरू हो चुकी है। गौरतलब है की खजूर पकने की चार प्रमुख अवस्थाएं होती हैं, इन्हें गंडोरा, डोका, डेंग और पिंड अवस्था कहते हैं। फल का पिंड अवस्था में आना मानसून की बरसात पर निर्भर करता है, मानसून जल्दी आता है तो फल को डोका अवस्था में ही तोड़ना पड़ता है लेकिन काजरी के अनुसंधान में इस किस्म को पिंड बनने के योग्य पाया गया है।
काजरी के प्रधान वैज्ञानिक डा अकथसिंह ने बताया की एडीपी -1 खजूर किस्म का विकास आणंद कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किया गया है। संस्थान में इस किस्म पर पिछले 6 साल से अनुसंधान कार्य चल रहा है। टिश्यू कल्चर तकनीक से तैयार यह किस्म अगेती है, जिसके कारण डोका फल जून के प्रथम सप्ताह में ही तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं, जबकि अगर बरसात देर से आती है तो 30-40 प्रतिशत फल पेड़ पर ही पिंड की अवस्था मे आ जाते हैं। साथ ही काजरी ने पिंड अवस्था को प्राप्त करने के लिए आंशिक सुखाने और पैकिंग के लिए भी प्रोटोकॉल विकसित किया है, जिसमें फलों की गुणवत्ता बरक़रार रहती है। खजूर की गुणवत्तायुक्त अच्छी उपज लेने के लिए एक पौधे पर 10-12 बंच ही रखने चाहिएं। साथ ही अच्छे आकार और मीठे फलों की प्राप्ति के लिए 20-25 प्रतिशत फलों के थिनिंग बहुत अच्छा होता है। खजूर के पौधों में फरवरी माह में हाथों से परागण करवाया जाता है। इसके बाद से पौधों को ज़्यादा पानी की ज़रूरत होती है। यदि ड्रिप सिंचाई है तो प्रतिदिन 2 घंटे पानी देना चाहिए। एक हैक्टेयर में खजूर के 156 पौधे लगाए जाते हैं।
काजरी निदेशक डॉ ओपी यादव ने बताया कि खजूर की बागवानी पश्चिमी राजस्थान में उपयुक्त है क्योंकि यहाँ की जलवायु परिस्थितियाँ इसकी व्यावसायिक खेती के लिए बहुत उपयुक्त हैं। काजरी द्वारा विकसित खजूर की खेती और खजूर को सुखाने की तकनीक, राज्य में इसकी खेती को और बढ़ावा दे सकती है इससे खजूर उत्पादकों को कई गुना लाभ हो सकता है।
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