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पठानकोट हिमालय पर्वत की शिवालिक शृंखलाओं में स्थित भारत के पंजाब में एक शहर और जिला मुख्यालय है। पठानकोट, लुधियाना, अमृतसर, जालंधर, पटियाला और बठिंडा के बाद पंजाब का छठा सबसे अधिक आबादी वाला शहर है। इसे पंजाब सरकार द्वारा 27 जुलाई, 2011 को आधिकारिक तौर पर जिला घोषित किया गया था। अतीत में यह जिला गुरदासपुर की एक तहसील थी। यह भारत के तीन उत्तरी राज्यों पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर का मिलन बिंदु है। पठानकोट बस, ट्रेन और हवाई मार्ग से जुड़ा शहर हैं। पठानकोट से समीप के हिमाचल प्रदेश के डलहौजी, चंबा, कांगड़ा, धर्मशाला, मैकलोडगंज, ज्वालाजी, चिंतपूर्णी, बैजनाथ, कुल्लू और मनाली पर्यटक स्थलों के साथ-साथ जम्मू कश्मीर के लिए बसें जाती है।
मिनी गोवा पठानकोट शहर से 32 किलोमीटर दूर चमरौर गांव के पास स्थित है। बहुत कम समय में इस जगह ने बड़ी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित किया है। शनिवार और रविवार को यहां पर्यटकों की काफी भीड़ देखी जा सकती है। यहां मनोरंजन और खाने पीने का भी भरपूर इंतजाम है। चमरौर का यह इलाका इस खूबसूरत झील के कारण बहुत खुनसुरत लगता है| यहां पे आप फॅमिली के साथ पिकनिक क्र सकते हैं, आप यहां बोटिंग, घुड़सवारी, ऑल-टेरेन वाहन का मज़ा भी ले सकते हैं| अक्सर पर्यटक यहां परिवार और दोस्तों के साथ शामें बिताने पहुंचते हैं। मिनी गोवा के पास वन विभाग के टेंट गेस्ट हाउस के इलावा एक होटल भी निर्माण अधीन है।
मुक्तेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव का एक लोकप्रिय मंदिर है और इसे मुकेसरन मंदिर के नाम से जाना जाता है - जो पठानकोट से 24 किमी दूर रंजीत सागर बांध और मिनी गोवा रोड पर डूंग गांव के पास रावी दरिया के किनारे स्थित है। मंदिर जाने के लिए लगभग 265 सीढीया उतरना पड़ता है। यह मंदिर पठानकोट के आसपास के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। यहां कुछ गुफाएं हैं स्थानीय लोगों का कहना है कि मंदिर के पास की ये गुफाएं महाभारत काल की हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार, पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान इन गुफाओं में रुके थे। यहां उन्होंने पहाड़ी की चोटी पर चार गुफाएं और एक भगवान शिव का मंदिर बनवाया। उन्होंने मंदिर में मौजूद शिवलिंग का निर्माण किया और यहां भगवान शिव की पूजा की। उनके द्वारा बनाया गया हवन कुंड आज भी वहां मंदिर में मौजूद है। शनिवार और रविवार को यहां पर्यटकों की काफी भीड़ देखी जा सकती है। यहां सभी दिन भंडारा चलता रहता है।
गढ़ माता मंदिर एक पुराना हिंदू मंदिर है, जो जिला पठानकोट के करोली गांव में ख़ूबसूरत पहाड़ों में स्थित है। यह मंदिर पठानकोट से मामून होते हुए 12 किमी दूर है, आप पंगोली या मनवाल के रास्ते भी जा सकते हैं। इस मंदिर की मुख्य देवी माता काली हैं। इस मंदिर में श्री राम सिंह पठानिया जी पूजा करने आया करते थे, उनकी मूर्ति भी यहीं स्थापित की गयी है। राम सिंह पठानिया अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष करने वाले एक भारतीय सेनानी थे। यहां बड़ी संख्या में स्थानीय श्रद्धालु और पर्यटक पूजा करने आते हैं और सबसे ज्यादा भीड़ मंगलवार को होती है, इस दिन भक्तों के लिए विशेष भंडारे का भी आयोजन किया जाता है। इस मंदिर में नवरात्रि के दौरान भी कई भक्त आते हैं। आप यहां आधे दिन के टूर के लिए भी आ सकते हैं। यह मंदिर सेना की निगरानी में है।
गुरुद्वारा श्री बार्थ साहिब-
गुरुद्वारा श्री बार्थ साहिब पठानकोट का सबसे प्रतिष्ठित गुरुद्वारा है| इस गुरुद्वारा में गुरु नानक जी के सुपुत्र श्री चाँद जी ने काफी समय मेडिटेशन में बताया था | इस गुरुद्वारा पास सरोवर भी है जिसके पास बैठने से आपको शांति और सुकून का अहसास मिलेगा |
गुरुद्वारा श्री बर्थ साहिब वह स्थान है जहां बाबा श्री चंद जी श्री गुरु नानक के पुत्र
ने यहां काफी समय ध्यान करते हुए बिताया।
शाहपुरकांडी किला
शाहपुरकांडी किला पठानकोट के शाही इतिहास का एक अनमोल पनना है | एक समय पर यह किला पठानी साम्राज्य का गढ़ हुआ करता था | इसके किले का निर्माण जसपाल सिंह पठानिया ने सन 1505 में कराया था और प्राचीन काल में इस स्थान से लाहौर तक की नहर भी बनाई गई थी |
नोवेल्टी मॉल
पठानकोट के लोगों को अगर विंडो शॉपिंग करके टाइम पास करना होता है या कोई मूवी देखने होती है तो पहला नाम जो ध्यान में आता है वह है यहां का नोवेल्टी मॉल| ऐ जगह एंटरटेनमेंट और फैमिली के साथ खानपान करने बेस्ट जगह है यारों से मिलने का एक मीटिंग प्वाइंट बन गया है |
काठगढ़ मंदिर
पठानकोट के समीप काठगढ इलाके में बना काठगढ मंदिर शिव जी को समर्पित मंदिर है | यह मंदिर बियास और चूंच नंदी के संगम के पास बना हुआ है और यहां से आसपास का एक अद्भुत नजारा देखने को मिलता है | इस मंदिर का मुख्य आकर्षण यहां पर स्थापित 6 फीट ऊंचा शिवलिंग है |
नूरपुर
नूरपुर पठानकोट के पास बना एक प्राचीन किला जिसको लगभग 1000 साल पुराना है| इसके किले को डमेरी किला भी कहा जाता है और इसने अंग्रेजो का आक्रमण और १९०५ का भूकंप भी जेला है | इसके किले अंदर एक मंदिर बना हुआ है जहां कृष्ण जी और मीरा जी को पूजा जाता है |
रणजीत सागर बांध
रणजीत सागर बांध पंजाब का सबसे बड़ा डेम है | जो पुरे पंजाब को बिजली देताऔर मोहियात करता है | इस डेम के आसपास की नेचुरल ब्यूटी इतनी लुभावनी है कि दूर दूर से टूरिस्ट यहाँ खींचे चले आते हैं | इस स्थान के आसपास कई साइटिंग पॉइंट भी बने हुए हैं जहां से आप दिलकश पहाड़ियों का एक विहंगम दृश्य ले सकते हैं |