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निम्न मन्त्र पढ़े - ॐ ह्रीं एहि जेहि देवि पुत्र बटुक नाथ कपिल जटा भार भास्पत त्रिनेत्र ज्वालामुख सर्वान् विघ्नान् नाशय नाशय , सकल गृह बाधा , रोग , जरा , पीड़ा विनाशार्थे, विपिण विकाशार्थे, अक्षय लक्ष्मी प्राप्तार्थे, सकल दरिद्रता शमनार्थ इदम् बलिम् गृह्य गृह्य गृह्यडापय गृह्यडापय सिद्धिमे प्रयच्छ हुं फट् स्वाहा ।
यह कहकर दीपक की ज्योति में कारण-बिन्दु को अर्पित कर दे ।
अन्त में वहीँ पात्र के सामने निम्न मन्त्र पढ़ते हुए पुष्पांजलि छोड़े- ॐ बलि-दानेन सन्तुष्टो, बटुकः सर्व-सिद्धिदः । रक्षां करोतु में नित्यं, भूत-वेताल-सेवितः ।
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#भैरव_अष्टमी