स्मोकिंग की दिक़्क़त यह है कि इसकी छवि ख़राब है, क्योंकि हर कोई जानता है कि यह जानलेवा है. यही वजह है कि तंबाकू की बहुराष्ट्रीय कंपनियां ई-सिगरेट पर ध्यान ज़्यादा केंद्रित कर रही हैं, जो चमकीले रंगों और फलों के स्वाद के साथ ग्राहकों को लुभा रही हैं. इसके टारगेट पर हैं युवा.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़ धूम्रपान के कारण हर साल 80 लाख लोगों की मौत होती है. यही वजह है कि अब आप अक्सर तंबाकू कंपनियों को ई-सिगरेट पर स्विच करने का प्रचार करते हुए सुनेंगे और यह दावा करते हुए कि ये हमारे स्वास्थ्य के लिए कम हानिकारक हैं. युवा लोग सबसे पहले इस उद्योग के वादों पर विश्वास करते हैं और इस प्रकार नशे की लत की राह पर निकल पड़ते हैं. आख़िरकार, निकोटीन एक नशीला पदार्थ है. इसका स्वाद तंबाकू से बेहतर हो सकता है, फिर भी वेप पर कश लगाने से आप ठीक उसी तरह से आदी हो जाएंगे, जैसे एक नियमित सिगरेट पीने से होते हैं. फिल्म एक ऐसे उद्योग की निंदनीयता की जांच करती है, जो न केवल इसे स्वीकार करता है, बल्कि जानबूझकर इसके लिए प्रयास भी करता है.
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