एक दौर था जब शिव सेना और फिर राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना स्थानीय मराठी वोटों का समर्थन पाने की ख़ातिर उत्तर प्रदेश, बिहार और दूसरे उत्तर भारतीय राज्यों से आए लोगों को निशाने पर लेती थीं. साल 2008 में शिव सेना के मुखपत्र ‘सामना’ में बिहार से आए लोगों के लिए तो ‘गोबर का कीड़ा’ शब्द तक का इस्तेमाल किया गया था. लेकिन अब हालात कुछ बदले हैं.
बिहार-यूपी से आने वाले लोगों की महाराष्ट्र की राजनीति में क्या स्थिति है और यहां रहने वाले लोगों को क्या अभी भी भेदभाव का सामना करना पड़ता है? इस ग्राउंड रिपोर्ट में इन्हीं सवालों की पड़ताल.
रिपोर्ट: अंशुल सिंह
शूट: जितेंद्र पांडेय, बीबीसी के लिए
एडिट: शाहनवाज़ अहमद और शाद मिद्हत
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