काशीनाथ यादव, एक प्रख्यात बिरहा गायक और समाजिक न्याय के प्रसारक, जिन्होंने अपने बिरहों के माध्यम से सामाजिक चेतना का विस्तार किया। उनके बिरहों में न केवल लोकजीवन की सच्चाइयाँ बयां होती हैं, बल्कि उन्होंने समाज में फैली असमानताओं और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई। 20वीं सदी के 9वें दशक में काशीनाथ ने भोजपुरी बिरहे की भूमिका बदल दी तथा सदियों से जड़ जमाए ब्राह्मणवाद और मनुवाद पर तीखा प्रहार किया और जातिवाद के कारण बटे हुए बहुजनों को राजनीतिक रुप से एकजुट करने में बड़ी भूमिका निभाई।
आगे चलकर काशीनाथ यादव तीन बार विधान परिषद के सदस्य चुने गए। अपने इलाके में शिक्षा के विस्तार के लिए उन्होंने कई कॉलेज बनवाए। वह समाजवादी चेतना के एक प्रखर प्रवक्ता हैं।
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