फिर भी रफी साब का धैर्य नहीं टूटा --- जी हाँ, इसीलिये वो यहाँ तक पहुंचे--- वह समय रफ़ी साब के लिए बहुत कठिन था. वे मुंबई की फिल्मी दुनिया की बेगानी गलियों में ... इस स्टुडियो से उस स्टुडियो के चक्कर काट रहे थे ... और अपने लिए गाने का मौका तलाश रहे थे ... दोस्त -- हमीद भाई रफ़ी साब के इस शुरुआती संघर्ष में बहुत काम आए ... उनका धैर्य नहीं टूटा, धीरे धीरे उनकी कोशिशें रंग लाई और दोनों को मोहम्मद अली रोड के प्रिसेंस बिल्डिंग में ... किराए का एक मकान मिल गया ... इसके मालिक सिराजुद्दीन अहमद बारी खुद सपरिवार -- बिल्डिंग के टॉप माले पर रहते थे ... इसे इत्तेफाक ही कहा जाएगा कि बाद में ... इन्हीं बारी साब की बेटी बिलकिस ... सुरों के इस शंहशाह की हमसफ़र बनीं ... वीडियो में उनकी गायकी के कई कई रंग हैं --- सुन कर रफी साब से अनजान भी उनकी प्रतिभा का लोहा मान जायेगा। गायन की अद्वितीय प्रतिभा तो उनमें थी ही वे बहुत ही नेकदिल इनसान भी थे।
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