धर्मसंकट - मुंशी प्रेमचंद की लिखी कहानी। Dhrmsankat - A story written by munshi premchand।#hindi#hindistory
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मुंशी प्रेमचंद, हिंदी और उर्दू साहित्य के एक अमर लेखक, का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के निकट लमही गांव में हुआ था। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था, लेकिन प्रेमचंद के नाम से वे साहित्यिक जगत में विख्यात हुए।
प्रेमचंद ने अपनी लेखनी से समाज के विभिन्न वर्गों की समस्याओं, उनके संघर्षों और जीवन की सच्चाइयों को उजागर किया। उनकी कृतियाँ समाज के निम्न और मध्यम वर्ग की जीवंत तस्वीर पेश करती हैं। उनके रचित उपन्यासों और कहानियों में नैतिकता, सामाजिक न्याय और मानवीय मूल्यों की स्पष्ट झलक मिलती है।
उनकी प्रमुख रचनाएँ—'गोदान', 'गबन', 'निर्मला', 'सेवासदन', 'रंगभूमि' और 'कफन'—आज भी हिंदी साहित्य का गौरव हैं। उनकी रचनाओं की भाषा सरल, शैली मार्मिक और दृष्टिकोण यथार्थवादी है। प्रेमचंद ने न केवल साहित्य को जनसामान्य के करीब लाया, बल्कि उसे सामाजिक बदलाव का सशक्त माध्यम भी बनाया।
मुंशी प्रेमचंद का निधन 8 अक्टूबर 1936 को हुआ, लेकिन उनकी कृतियाँ आज भी पाठकों को प्रेरित करती हैं और हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं।
"धर्मसंकट" मुंशी प्रेमचंद की एक संवेदनशील और विचारोत्तेजक कहानी है, जो धर्म, नैतिकता और समाज के मूल्यों के बीच के टकराव को गहराई से उजागर करती है। यह कहानी एक ऐसे व्यक्ति के आंतरिक संघर्ष को दर्शाती है, जो सही और गलत के बीच फंसा हुआ है और जहां उसे नैतिकता और व्यक्तिगत हितों के बीच कठिन निर्णय लेने पड़ते हैं।
🔸 कहानी का नाम: धर्मसंकट
🔸 लेखक: मुंशी प्रेमचंद
🔸 मुख्य विषय: धर्म, नैतिकता और सामाजिक मूल्यों का द्वंद्व
🌟 कहानी की विशेषताएं:
मानवीय मूल्यों और जीवन के गहन पहलुओं पर अद्भुत दृष्टिकोण
सामाजिक और नैतिक मुद्दों पर गंभीर और सटीक चिंतन
प्रेमचंद की सजीव और प्रभावशाली लेखन शैली
यह कहानी आपको गहराई से सोचने पर मजबूर कर देगी कि कैसे धर्म और नैतिकता के बीच संतुलन साधना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। अपने जीवन में सही दिशा चुनने की प्रेरणा पाने के लिए इसे अवश्य सुनें।
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