हिंदी आलोचना में रामविलास शर्मा की आलोचना पद्धति 'प्रगतिवादी समीक्षा' के आधार स्तंभ के रूप में स्वीकार की गई है। उनकी आलोचना का क्षेत्र न केवल विषय की दृष्टि से बल्कि कार्य की दृष्टि से भी अत्यधिक विस्तृत है। उन्होंने हिंदी आलोचना की चर्चा करते हुए संस्कृत और अंग्रेजी साहित्य, भाषा विज्ञान, इतिहास, मार्क्सवाद, उपनिवेशवाद, समाजशास्त्र और दर्शनशास्त्र जैसे विषयों पर गहराई से विचार किया है।
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