"Uttar Ramayan - Episode 38 - Sita gave proof of being husband and in the lap of the earth
भरी राजसभा में महर्षि वाल्मीकि राजा राम के समक्ष सीता की पवित्रता की पुष्टि करते हैं। सीता सिर झुकाए खड़ी हैं। सबकी निगाहें राम की ओर हैं। राम वाल्मीकि पर भरोसा जताते हैं किन्तु वह कहते हैं कि लोकापवाद से बचने के लिये सीता को जनसमुदाय के बीच अपनी पवित्रता प्रमाणित करनी होगी। सीता आगे बढ़कर सभागृह के बीच में आती हैं और स्थिर वाणी में कहती हैं कि यदि उन्होंने कभी भी अपने पति राम के अतिरिक्त किसी अन्य पुरुष का मनन नहीं किया हो तो आज भगवती पृथ्वी देवी इसी क्षण अपनी गोद में स्थान दें। सीता के यह वचन सुनकर पूरी सभा स्तब्ध रह जाती है। सीता का सतीत्व अखण्ड हैं। उनकी पुकार सुनकर धरती फट जाती है और पाताल से सिंहासन निकलता है जिसपर पृथ्वी देवी विराजमान हैं। पूरी सभा में हलचल मच जाती है। सीता धरती माता से कहती हैं कि वह अपनी परीक्षा देते देते थक चुकी हैं। यहाँ स्त्री का मान नहीं होता, वह उन्हें अपने साथ ले चलें। भगवती पृथ्वी देवी सीता को अपने साथ सिंहासन पर बैठा लेती हैं। लवकुश माँ को पुकारते हैं। सीता लवकुश को पिता के पास रहने और उनकी सेवा करने की सीख देती हैं। सभी सभासद और प्रजाजन भी सीता के चरणों में गिरकर क्षमा माँगते हैं। सीता उन्हें क्षमा प्रदान करती हैं। वाल्मीकि भी स्तब्ध हैं। सम्भवतः उन्हें भी भान नहीं था कि सीता ऐसा कोई कठोर कदम उठाने वाली हैं। राम सीता को रोकना चाहते हैं किन्तु पृथ्वी देवी उन्हें अपने साथ पाताल ले जाती हैं। फटी हुई धरती फिर से जुड़ जाती है। राजा जनक देखते हैं कि जिस धरती माता से उन्होंने सीता को पुत्री के रूप में प्राप्त किया था, आज वह वापस उसी धरती की गोद में समा गयी हैं। राम बेसुध होते हैं। वह कहते हैं कि यदि उनकी सीता लौटाई नहीं गयीं तो वह पूरी धरती को उलट पुलट देंगे। पूरी दुनिया को नष्ट कर देंगे। तभी भगवान ब्रह्मा प्रकट होकर उन्हें शान्त करने के लिये स्मरण कराते हैं कि वह भगवान विष्णु का रूप हैं और सीता तो वापस साकेत धाम जा चुकी हैं जहाँ उनसे उनका पुनर्मिलन होगा। महर्षि वाल्मीकि लवकुश को राम के संरक्षण में सौंप कर वापस अपने आश्रम को प्रस्थान करते हैं।
उत्तर रामायण में लव कुश की कहानी को दर्शाया गया है। जिसमें माँ सीता को श्री राम त्याग देते हैं और माँ सीता महाऋषि वाल्मीकि के आश्रम में जाकर रहने लगती हैं। माँ सीता वहाँ लव कुश को जन्म देती हैं। लव कुश उसी आश्रम में बड़े होते हैं और गुरु वाल्मीकि से शिक्षा दीक्षा लेते हैं। कैसे लव कुश श्री राम और माँ सीता को मिलाते हैं देखे सम्पूर्ण उत्तर रामायण के सभी एपिसोड सिर्फ़ तिलक YouTube चैनल पर।
रामायण एक भारतीय टेलीविजन श्रृंखला है जो इसी नाम के प्राचीन भारतीय संस्कृत महाकाव्य पर आधारित है। यह श्रृंखला मूल रूप से 1987 और 1988 के बीच दूरदर्शन पर प्रसारित हुई थी।
इस श्रृंखला के निर्माण, लेखन और निर्देशन का श्रेय श्री रामानंद सागर को जाता है। यह श्रृंखला मुख्य रूप से वाल्मीकि रचित 'रामायण' और तुलसीदास रचित 'रामचरितमानस' पर आधारित है।
निर्माता और निर्देशक - रामानंद सागर
सहयोगी निर्देशक - आनंद सागर, मोती सागर
कार्यकारी निर्माता - सुभाष सागर, प्रेम सागर
मुख्य तकनीकी सलाहकार - ज्योति सागर
पटकथा और संवाद - रामानंद सागर
संगीत - रविंद्र जैन
शीर्षक गीत - जयदेव
अनुसंधान और अनुकूलन - फनी मजूमदार, विष्णु मेहरोत्रा
संपादक - सुभाष सहगल
कैमरामैन - अजीत नाइक
प्रकाश - राम मडिक्कर
साउंड रिकॉर्डिस्ट - श्रीपाद, ई रुद्र
वीडियो रिकॉर्डिस्ट - शरद मुक्न्नवार
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