"Uttar Ramayan - Episode 39 - Water Samadhi of Shri Ram. Final chapter.
लवकुश मुनिकुमारों का वेश त्याग कर राजकुमारों का वेश धारण करते हैं। वह अपनी माता की स्वर्ण प्रतिमा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और परिवार के वरिष्ठजनों का आशीर्वाद लेते हैं। लवकुश राम की सेवा करते हैं। महर्षि वाल्मीकि रामायण का अन्तिम अध्याय लिखते हैं जिसमें वह रामराज्य के गुणों का बखान करते हैं और तीनों राजमाताओं के परलोक गमन के बारे में लिखते हैं। वाल्मीकि लिखते हैं कि कालान्तर में राम ने अपना सम्पूर्ण राज्य अपने व अनुजपुत्रों के बीच बाँट दिया था। कुश को दक्षिण कौशल प्रदेश दिया जिसकी राजधानी कुशावती थी। लव को उत्तर कौशल प्रदेश श्रावस्ती का राजा बनाया। राम ने भरतपुत्रों तक्ष को तक्षशिला तथा पुष्कर को पुष्करावती, लक्ष्मणपुत्रों अंगद को अरूपत में अंगदपुर तथा चन्द्रकेतु को चन्द्रावती का राज्य दिया। मधुरा में शत्रुघ्न के पुत्र सुबाहु का तो दूसरे पुत्र शूरसेन का विदिशा में शासन स्थापित हुआ। एक दिन अयोध्या के राजमहल में महाकाल ऋषि का रूप रखकर राम से मिलने आते हैं। वह अपनी बात एकान्त में कहना चाहते हैं और राम से वचन लेते हैं कि यदि कोई उनकी बात सुन लेता है अथवा बात करते देख लेता है तो वह उसे प्राण दण्ड देंगे। राम बातचीत की गोपनीयता बनाये रखने के लिये महल के द्वार पर स्वयं लक्ष्मण को पहरे पर लगा देते हैं। एकान्त होने पर महाकाल अपने वास्तविक रूप में आते हैं और राम को भगवान ब्रह्मा का सन्देश देते हैं कि जिस कार्य के लिये उन्होंने मृत्युलोक में अवतार लिया था, वह पूर्ण हो चुका है और अब उनका बैकुण्ठ लोक में वापस पधारने का समय आ चुका है। इस बातचीत के बीच ही महर्षि दुर्वासा महल के द्वार पर आते हैं और तत्काल राम से मिलने की इच्छा व्यक्त करते हैं। लक्ष्मण के मना करने पर वह श्राप देकर पूरी अयोध्या को भस्म करने की चेतावनी देते हैं। लक्ष्मण धर्म संकट में पड़ते हैं। किन्तु वह निर्णय लेते हैं कि यदि उनके प्राण देने से अयोध्या नगरी बचती है तो यही उत्तम रहेगा। लक्ष्मण महाकाल और राम की बातचीत के बीच महर्षि दुर्वासा के आने की सूचना देते हैं। महाकाल नाराज होकर अन्तर्ध्यान हो जाते हैं। लक्ष्मण के लिये मृत्युदण्ड का निर्णय लेने के लिये राम मंत्री परिषद की बैठक बुलाते हैं। गुरु वशिष्ठ राम को अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने का परामर्श देते हैं। बुद्धिमान हनुमान वेद सम्मत बात कहते हैं कि अच्छे इन्सान का त्याग कर देना ही उसे मृत्यु दण्ड देने के बराबर होता है। इस पर राम दण्ड के रूप में प्राणों से प्रिय भाई लक्ष्मण का परित्याग करने की घोषणा करते हैं। लक्ष्मण स्वयं को सरयू नदी में विलीन कर लेते हैं और अपने शेषनाग रूप में वापस क्षीर सागर में प्रकट होते हैं। राम भी गुरु वशिष्ठ से अन्तिम विदा लेने उनके आश्रम जाते हैं। अयोध्या की प्रजा भी उनके साथ जाना चाहती है। वशिष्ठ राम से प्रजा की गुहार स्वीकार करने का निवेदन करते हैं। राम इसे स्वीकार करते हैं। राम जल समाधि लेने के लिये सरयू नदी में प्रवेश करते हैं। भगवान ब्रह्मा प्रकट होकर उनसे अपने चतुर्भुज विष्णु स्वरूप में आने का अनुरोध करते हैं। राम अपने विष्णु रूप में आते हैं। भरत और शत्रुघ्न उनमें विलीन हो जाते हैं। भगवान विष्णु हनुमान को आज्ञा देते हैं कि जब तक धरती पर राम कथा का प्रचार रहेगा, वह धरती पर रहेंगे और कलियुग के अन्त तक भक्तों को मोक्ष का मार्ग दिखायेंगे। राम जामवन्त से द्वापर युग तक रहने का आदेश देते हैं किन्तु सुग्रीव प्रभु के साथ ही जाना चाहते हैं। भगवान हरि मान जाते हैं। उनके प्रस्थान के बाद प्रजा सरयू में जल समाधि लेती है और फिर उनकी आत्माऐं प्रभु के बनाये उत्तम लोक को चली जाती हैं। भगवान विष्णु के विश्वरूप के दर्शन होते हैं। राम कथा के सम्पूर्ण होने पर धारावाहिक के निदेशक रामानन्द सागर ज्ञान देते हैं कि हरि अनन्त, हरिकथा अनन्ता।
उत्तर रामायण में लव कुश की कहानी को दर्शाया गया है। जिसमें माँ सीता को श्री राम त्याग देते हैं और माँ सीता महाऋषि वाल्मीकि के आश्रम में जाकर रहने लगती हैं। माँ सीता वहाँ लव कुश को जन्म देती हैं। लव कुश उसी आश्रम में बड़े होते हैं और गुरु वाल्मीकि से शिक्षा दीक्षा लेते हैं। कैसे लव कुश श्री राम और माँ सीता को मिलाते हैं देखे सम्पूर्ण उत्तर रामायण के सभी एपिसोड सिर्फ़ तिलक YouTube चैनल पर।
रामायण एक भारतीय टेलीविजन श्रृंखला है जो इसी नाम के प्राचीन भारतीय संस्कृत महाकाव्य पर आधारित है। यह श्रृंखला मूल रूप से 1987 और 1988 के बीच दूरदर्शन पर प्रसारित हुई थी।
इस श्रृंखला के निर्माण, लेखन और निर्देशन का श्रेय श्री रामानंद सागर को जाता है। यह श्रृंखला मुख्य रूप से वाल्मीकि रचित 'रामायण' और तुलसीदास रचित 'रामचरितमानस' पर आधारित है।
निर्माता और निर्देशक - रामानंद सागर
सहयोगी निर्देशक - आनंद सागर, मोती सागर
कार्यकारी निर्माता - सुभाष सागर, प्रेम सागर
मुख्य तकनीकी सलाहकार - ज्योति सागर
पटकथा और संवाद - रामानंद सागर
संगीत - रविंद्र जैन
शीर्षक गीत - जयदेव
अनुसंधान और अनुकूलन - फनी मजूमदार, विष्णु मेहरोत्रा
संपादक - सुभाष सहगल
कैमरामैन - अजीत नाइक
प्रकाश - राम मडिक्कर
साउंड रिकॉर्डिस्ट - श्रीपाद, ई रुद्र
वीडियो रिकॉर्डिस्ट - शरद मुक्न्नवार
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