पूर्ण सामायिक ध्यान | Samayik Dhyan in Hindi | मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज | Samayik Path Kal Anant | Muni Shri 108 Pranamya Sagar Ji Maharaj
सामायिक स्वं में साधना!
इष्ट-अनिष्ट में, स्व व पर में, राग द्वेष रहित होकर, साम्य भाव रूप परिणती को प्राप्त करना ही सामायिक हैं|
सामायिक मोक्ष मार्ग की साधना का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग हैं|
सामायिक ही सर्व प्रथम!
- श्रावक के शिक्षा व्रतो में प्रथम
- मुनिराजो के षठ आवश्यक में प्रथम
- चारित्र के पंच भेदो में प्रथम, और
- सर्वोत्कृष्ट यथाखयात चारित्र की प्राप्ति में कारणभूत साधना हैं
सामायिक काल 2 घड़ी (48 mins) से उत्कृष्ट 6 घड़ी का बताया गया हैं |
पूर्वाह्न, मध्याह्न और अपराह्न कालों में सामायिक करना कहा गया हैं |
सामायिक साधना का प्रारम्भ भी, प्रगति भी और पूर्णता भी!
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