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आगे की कहानी: घूमते घूमते ,लोगो का कल्याण करते हुए गंगनाथ पहुच गए जोशीखोला, वहाँ की महिलाओं को बताते हैं, कि वो नेपाल डोटी राज्य के राजकुमार गंगाचन्द हैं। जोशीखोला की रूपसी भाना के स्वप्न आमंत्रण पर उसको ढूढ़ने के लिए दर दर भटक रहा हूँ।
तब महिलाएं बोलती है, कि रूपसी भाना,आपके इंतजार में पलके बिछाए बैठी हैं। वो रोज आपका रास्ता देखती है। और बोलती है, मेरे गंगू आएंगे मुझसे मिलने एक दिन। यह सुन गंगनाथ भाव विभोर हो जाते हैं, और उनसे बोलते है,कि क्या आप मुझे भाना के गाँव का रास्ता बता दोगे ?
फिर स्त्रियां उन्हें अपने साथ लेकर जाती हैं, भाना के गाँव। गंगनाथ को गांव के मंदिर में रोकती हैं। फिर वो भाना के पास जाती हैं। भाना को बताती है, एक तेजस्वी जोगी आये है गाव में, वो अपने को डोटी का राजकुमार गंगाचंद बता रहा है। और वो बता रहा है,कि मैं अपनी प्रेयसी रूपमती भाना से मिलने आया हूँ।
नजोशी दीवान बहुत कुपित होते हैं। वो अपने सेवको के संग गंगनाथ को मारने की योजना बनाते हैं। उनको पता चलता है,कि गंगनाथ के पास गुरु गोरखनाथ के दिये दिव्य वस्त्र हैं। पीठी आधार भाई गोरिया की दी हुई दिव्य शक्ति है। और स्वयं गंगनाथ का जन्म महादेव के आशीर्वाद से हुवा है। इसलिए उससे आमने सामने की लड़ाई में जितना मुश्किल है।
वो गंगनाथ को छल से मारने की योजना बनाते हैं। किशनजोशी व उनके सेवक होली के दिन अपनी योजनानुसार ,गंगनाथ जी को छल से भांग पिला देते हैं। अत्यधिक भांग पीने के कारण वो बेसुध हो जाते हैं। इसी समय का लाभ लेकर ,किशनजोशी और उनके सेवक गंगनाथ के दिव्य वस्त्र निकाल के अलग कर लेते हैं, और गंगनाथ जी की हत्या कर देते हैं। उनका सेवक झपरूवा और प्रेमिका भाना उनको बचाने की बहुत कोशिश करते हैं, झपरूवा उनको छुपा देता है।
गंगनाथ जी को बचाने की कोशिश के जुर्म में गांव वाले झपरूवा लोहार को भी मार देते हैं। कहते हैं। कहते हैं भाना उस समय गर्भवती होती है। गंगनाथ की ये हालत देखकर , भाना बामणी कुपित हो जाती है,और रोते रोते फिटकार ( श्राप ) देती है,कि ये अंचल सुख जाए, यहां का विनाश हो जाय। और किशनजोशी और गाव वाले उसे भी मार देते हैं।
तीनो के मारे जाने के के तीन दिन बाद, गाव में कोहराम मच जाता है, गोठ के गाय बछे मरने ,शुरू और जोशिखोला के लोग ,बीमार और पागल होना शुरू हो जाते हैं। पूछ, पुछ्यारी करने के बाद पता चलता है,कि भाना गंगनाथ, झपरूवा की आत्मायें ये सब कर रही हैं।
फिर जागर लगाई जाती है, तीनो का अवतार होता है। जोशिखोला के लोग दंडवत बाबा गंगनाथ के चरणों मे गिर कर माफी मांगते हैं। तब गंगनाथ देवता आखों में आंसू और मुस्कान एक साथ लाकर कहते हैं,
“रे सौकार! मेरी के गलती छि, म्यर तो पुर परिवार उजाड़ दे !!! मी गंगनाथ छि रे गंगनाथ! खुशी हुनु तो, फुले फुलारी करि दिनु। नाराज ह्वे गयो तो, शमशान कर दिनु रे।”
बड़ी मुश्किल से मनोती कर के उन तीनों को गाव वाले शांत करते हैं। और उनके मंदिर की स्थापना की जाती है। मंदिर में बाबा गंगनाथ देवता और भाना बामणी और उनके पुत्र बाल रत्न के रूप में पूजा की जाती है। और साथ मे बाबा गंगनाथ केसेवक का झपरूवा का मंदिर बना कर,उनकी पूजा की जाती है।
गंगनाथ देवता अल्मोड़ा अंचल के लोक देवता हैं। अल्मोड़ा क्षेत्र के आस पास के गावों में गंगनाथ की लोक देवता के रूप में पूजा होती है। अल्मोड़ा क्षेत्र में उनके कई मंदिर हैं। अल्मोड़ा से 4-5 किमी दूर ताकुला में उनका मंदिर हैं। गंगनाथ देवता लोककल्याण कारी देवता हैं। जो कोई दुखिया उनके शरण मे जाता है। उसका कल्याण अवश्य करते हैं।
निवेदन –
मित्रो उपरोक्त कथा, में हमने आपको भाना गंगनाथ प्रेम कथा के बारे में बताया है, उपरोक्त कथा, लोक जागर कथाओं और
Vihan group of Almora Uttarakhand द्वारा नाटक के आधार पर लिखा गया है। इसका मूल आधार गाव में गाई जाने वाली गंगनाथ देवता की जागर है।
यदि उपरोक्त कथा में आपको कोई त्रुटि लगती है, तो आप हमें कंमेंट या हमारे फेसबुक पेज देवभूमि दर्शन में मैसेज भेज कर अवगत करा सकते हैं। मित्रों आप सबसे निवेदन है,कि इस कथा को शेयर करें। अपनी लोकसंस्कृति का प्रचार अधिक से अधिक करे ।
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