ghuttu bhilang ram leela 2025 Angd lanka pahuchne k baad
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Ramleela Angad or Rawan k bich hua sanwad
Ghuttu bhinag ki Ram leela
Kaa manchan
Khr or Dusan do bhai jo ki rawan k chote bhai the
Ram ji hatho mare gye the
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Angad pahuche lankaa mai or Rawan k samne jate hi Angad ne Rawan ko sawdhan kiya ki tum seeta mata ko cho kr lanka me aram se raaj kro
Or shri Ram ne mujhe dhut k rup mai bheja hai or waha sandhi ka pastaw laye hai. Or etne mai hi Rawan ko krodh aa gya
अंगद और रावण के बीच के संवाद रामायण और रामचरितमानस में मिलते हैं. अंगद, राम के दूत थे जिन्हें सीता की खोज के लिए रावण के दरबार में भेजा गया था.
अंगद और रावण के बीच संवाद की खास बातें:
अंगद ने रावण की सभा में रावण के सभी सभजनों को चुनौती दी थी.
अंगद ने कहा था कि अगर कोई भी उसका पैर ज़मीन से उठा देगा, तो वह श्री राम की ओर से सुनिश्चित करता है कि वह अपनी हार मान लेगा और वापस लौट जाएगा.
अंगद और रावण के बीच के संवाद में अंगद ने अपनी जाति और मकसद बताया था.
अंगद और रावण के बीच के संवाद में रावण ने अंगद से सवाल पूछे थे.
अंगद के बारे में ज़रूरी बातें:
अंगद, वालि का पुत्र और किष्किंधा का राजकुमार था.
बाद में उसे राज्य का सम्राट घोषित किया गया.
अंगद ने राम को उनकी पत्नी सीता को खोजने और उनके अपहरणकर्ता रावण से लड़ने में मदद की थी.
अंगद और रावण के बीच के संवाद की चौपाइयां, रामचरितमानस के लंकाकांड में मिलती हैं.
अंगद और रावण के बीच के संवाद की कुछ चौपाइयां:
इहाँ प्रात जागे रघुराई। पूछा मत सब सचिव बोलाई॥
सुनु सर्बग्य सकल उर बासी। बुधि बल तेज धर्म गुन रासी॥
मंत्र कहउँ निज मति अनुसारा। दूत पठाइअ बालि कुमारा॥
नीक मंत्र सब के मन माना। अंगद सन कह कृपानिधाना॥
बहुत बुझाइ तुम्हहि का कहऊँ। परम चतुर मैं जानत अहऊँ॥
प्रभु अग्या धरि सीस चरन बंदि अंगद उठेउ।
बंदि चरन उर धरि प्रभुताई। अंगद चलेउ सबहि सिरु नाई॥
प्रभु प्रताप उर सहज असंका। रन बाँकुरा बालिसुत बंका॥
अंगद और रावण के संवाद के बारे में कुछ और बातें:
राम ने अंगद को दूत बनाकर रावण के पास भेजा था, ताकि युद्ध टाला जा सके.
अंगद ने धरती पर पैर टिकाकर रावण का घमंड चकनाचूर कर भगवान राम की शक्ति का एहसास कराया था.
अंगद ने इससे पहले लंकेश रावण को खूब समझाने की कोशिश की थी.
अंगद वानर सेना राजा बाली और अप्सरा तारा के पुत्र थे.
अंगद और रावण के बीच के संवाद की चौपाइयां, रामचरितमानस के लंकाकांड में मिलती हैं.
अंगद और रावण के बीच के संवाद की कुछ चौपाइयां:
इहाँ प्रात जागे रघुराई। पूछा मत सब सचिव बोलाई॥
सुनु सर्बग्य सकल उर बासी। बुधि बल तेज धर्म गुन रासी॥
मंत्र कहउँ निज मति अनुसारा। दूत पठाइअ बालि कुमारा॥
नीक मंत्र सब के मन माना। अंगद सन कह कृपानिधाना॥
बहुत बुझाइ तुम्हहि का कहऊँ। परम चतुर मैं जानत अहऊँ॥
प्रभु अग्या धरि सीस चरन बंदि अंगद उठेउ।
बंदि चरन उर धरि प्रभुताई। अंगद चलेउ सबहि सिरु नाई॥
प्रभु प्रताप उर सहज असंका। रन बाँकुरा बालिसुत बंका॥
अंगद और रावण के संवाद के बारे में कुछ और बातें:
राम ने अंगद को दूत बनाकर रावण के पास भेजा था, ताकि युद्ध टाला जा सके.
अंगद ने धरती पर पैर टिकाकर रावण का घमंड चकनाचूर कर भगवान राम की शक्ति का एहसास कराया था.
अंगद ने इससे पहले लंकेश रावण को खूब समझाने की कोशिश की थी.
अंगद वानर सेना राजा बाली और अप्सरा तारा के पुत्र थे.