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Gulab nath ji // कई खेला कई खेल सी // दिल को छु जानें वाला भजन // subscribe like comment shere करना

bhajan ki duniya 1,653,457 lượt xem 6 years ago
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जय श्री नाथजी की

इण आंगणियै मे ए। कई खेल्या कई खेलसी। कई खेल सिधारया ए ॥टेर॥

आवो पाँच सहेलियो म्हारा सीम दो न चोला ए। मै हूँ अबला सूंदरी, मेरा सहिब भोला ए॥1॥

एक छिनौला, दूजी कूबड़ी, तीजी नाजुक छोटी ए। नैण हमारा यूँ झरे ज्यों गागर फूटी ए॥2॥

जाय उतारै हरिये बड़ तलै, संगी कुरलाया ए। थे घर जाओ भैणा आपणै, म्हे भया पराया ए॥3॥

काजी तो महमद यूँ कया अब यहाँ नहीं रहणा ए। आया परवाना श्याम का, सखी यहाँ से चलणा ए॥4

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