Hanuman bahuk in hindi | हनुमान बाहुक हिंदी में -इसके पाठ से दूर न हो संसार में ऐसी कोई समस्या नहीं🚩
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दर्शकों द्वारा हनुमान बाहुक पर पूछे गए कुछ प्रश्नो के उत्तर
1 ) hanuman bahuk ke fayde / hanuman bahuk ke labh
- श्री हनुमान बाहुक पाठ करने से किसी भी बीमारी से पेरशान है तो यह पाठ बहुत लाभदायक है
- हनुमान बाहुक पाठ करने से जादू टोनो से मुक्ति मिलती है
- गठिया , वाट रोग , पेट के रोग आदि कोई भी रोग इसके श्रद्धा पूर्वक पाठ से समाप्त हो जाते हैं
- श्री हनुमान बाहुक पाठ करने से हर बाधा समाप्त हो जाती है
- हनुमान बाहुक पाठ करने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है
''इसका इतना अधिक प्रभाव है की आप जिस भी मनोकामना के साथ इसका पाठ करेंगे वह मनोकामना महाबली संकटमोचन रामदुलारे पवनकुमार हनुमान जी की कृपा से अवश्य पूर्ण होती है ''
2) hanuman bahuk ka paath kaise karen - हनुमान बाहुक का पाठ कैसे करें
श्री हनुमान बाहुक पाठ करने की विधि बहुत ही सरल है - hanuman bahuk paath vidhi
- सुबह स्नान करके स्वच्छ कपडे पहने
- घर के मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा रखे
- हनुमान जी को लाल रंग का फूल चढ़ाये
- हनुमान जी के आगे घी का दीपक जलाये
- हनुमान जी का ध्यान करके सच्चे मन से हनुमान बाहुक जी का पाठ करे
और अंत में स्मरण रखें - मन चंगा तो कठौती में गंगा
3) hanuman bahuk ki rachna kaise hui / hanuman bahuk ki rachna kisne ki
हनुमान बाहुक गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित स्त्रोत है. मान्यता है कि कलयुग के प्रकोप से जब तुलसीदास को शारीरिक पीड़ा हुई, उन्हें वात ने जकड़ लिया था. तब उन्होंने हनुमान बाहुक की रचना की थी.
4) hanuman bahuk hindi - हनुमान बाहुक हिंदी की शुरूआती पंक्तियाँ कुछ इस प्रकार हैं
जिनके शरीर का रंग उदयकाल के सूर्य के समान है, जो समुद्र लाँघकर श्रीजानकीजी के शोक को हरने वाले, आजानुबाहु, डरावनी सूरत वाले और मानो काल के भी काल हैं।
लंका-रुपी गम्भीर वन को, जो जलाने योग्य नहीं था, उसे जिन्होंने निःसंक जलाया और जो टेढ़ी भौंहो वाले तथा बलवान् राक्षसों के मान और गर्व का नाश करने वाले हैं,
तुलसीदास जी कहते हैं – वे श्रीपवनकुमार सेवा करने पर बड़ी सुगमता से प्राप्त होने वाले, अपने सेवकों की भलाई करने के लिये सदा समीप रहने वाले तथा गुण गाने, प्रणाम करने एवं स्मरण और नाम जपने से सब भयानक संकटों को नाश करने वाले हैं
वे सुवर्ण-पर्वत (सुमेरु) – के समान शरीरवाले, करोड़ों मध्याह्न के सूर्य के सदृश अनन्त तेजोराशि, विशाल-हृदय, अत्यन्त बलवान् भुजाओं वाले तथा वज्र के तुल्य नख और शरीरवाले हैं , उनके नेत्र पीले हैं, भौंह, जीभ, दाँत और मुख विकराल हैं, बाल भूरे रंग के तथा पूँछ कठोर और दुष्टों के दल के बल का नाश करने वाली है।
तुलसीदासजी कहते हैं – श्रीपवनकुमार की डरावनी मूर्ति जिसके हृदय में निवास करती है, उस पुरुष के समीप दुःख और पाप स्वप्न में भी नहीं आते।।२।।
शिव, स्वामि-कार्तिक, परशुराम, दैत्य और देवता-वृन्द सबके युद्ध रुपी नदी से पार जाने में योग्य योद्धा हैं। वेदरुपी वन्दीजन कहते हैं – आप पूरी प्रतिज्ञा वाले चतुर योद्धा, बड़े कीर्तिमान् और यशस्वी हैं।
जिनके गुणों की कथा को रघुनाथ जी ने श्रीमुख से कहा तथा जिनके अतिशय पराक्रम से अपार जल से भरा हुआ संसार-समुद्र सूख गया। तुलसी के स्वामी सुन्दर राजपूत (पवनकुमार) – के बिना राक्षसों के दल का नाश करने वाला दूसरा कौन है ? (कोई नहीं)।।३।।
.............शेष छंदों वीडियो में प्राप्त होंगे
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स्वर - भास्कर पंडित
Voice By - Bhaskar Pandit
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"लगाइये आस्था की डुबकी "
~ मंत्र सरोवर ~
@Mantra Sarovar
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