Hariye Na Himmat | हारिए न हिम्मत :- पूज्य गुरुदेव पं० श्रीराम शर्मा आचार्य जी
दुःख को कैसे दूर करें | Attachment | Best Motivational speech Hindi video
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Preface
दूसरे के छिद्र देखने से पहले अपने छिद्रों को टटोलो। किसी और की बुराई करने से पहले यह देख लो कि हम में तो कोई बुराई नहीं है। यदि हो तो पहले उसे दूर करो। दूसरों की निन्दा करने में जितना समय देते हो उतना समय अपने आत्मोत्कर्ष में लगाओ। तब स्वयं इससे सहमत होंगे कि परनिंदा से बढऩे वाले द्वेष को त्याग कर परमानंद प्राप्ति की ओर बढ़ रहे हो। संसार को जीतने की इच्छा करने वाले मनुष्यों! पहले अपने केा जीतने की चेष्टा करो। यदि तुम ऐसा कर सके तो एक दिन तुम्हारा विश्व विजेता बनने का स्वप्न पूरा होकर रहेगा। तुम अपने जितेंद्रिय रूप से संसार के सब प्राणियों को अपने संकेत पर चला सकोगे। संसार का कोई भी जीव तुम्हारा विरोधी नहीं रहेगा।
Table of content
1. आत्मविश्वास और अविरल अध्यवसाय
2. आध्यात्मिक चिंतन अनिवार्य
3. मानवमात्र को प्रेम करो
4. अंतरात्मा का सहारा पकड़ो
5. जीवन को यज्ञमय बनाओ
6. हँसते रहो, मुस्कराते रहो
7. आत्म समर्पण करो
8. मार्गदर्शन के लिए अपनी ही ओर देखो
9. अपने आपकी समालोचना करो
10. नम्रता, सरलता, साधुता, सहिष्णुता
11. अंतःकरण के धन को ढ़ूंढो
12. अकेला चलो
13. बोलिए कम, करिए अधिक
14. प्रेम एक महान शक्ति
15. असफलताओं का कारण
16. दुःखद स्मृतियों को भूलो
17. सुख- दु:खों के ऊपर स्वामित्व
18. पौरूष की पुकार
19. पुरूषार्थ की शक्ति
20. भटकना मत
21. लगन और श्रम का महत्व
22. चिंतन और चरित्र का समन्वय
23. आत्मशक्ति पर विश्वास रखो
24. आत्मविश्वास जागृत करो
25. खिलाड़ी भावना अपनाओ
26. संतोष भरा जीवन जीयेंगे
27. विचार और कार्य संतुलित करो
28. दूसरों पर आश्रित न हों
29. धर्म का सार तत्व
30. भटकना मत
31. आप अपने मित्र भी हो और शत्रु भी
Amritvani Part 1 of 7 : - Pujya Gurudev, Shantikunj, Haridwar
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गायत्री परिवार/प्रज्ञा परिवार/युग निर्माण परिवार: — युग निर्माण योजना को सफल एवं विश्वव्यापी बनाने के लिए पारिवारिक अनुशासन में गठित सृजनशील संगठन, जिसे गायत्री उपासना के आधार पर गायत्री परिवार, व्यक्तित्व परिष्कार के लिए आवश्यक दूरदर्शी विवेकशीलता के आधार पर प्रज्ञा परिवार एवं मानव मात्र के समग्र नव निर्माण के लिए प्रतिबद्धता के आधार पर युग निर्माण परिवार कहा जाता है।लक्ष्य एवं उद्देश्य:
— मनुष्य में देवत्व का उदय, धरती पर स्वर्ग का अवतरण।— व्यक्ति निर्माण, परिवार निर्माण, समाज निर्माण।
— स्वस्थ शरीर, स्वच्छ मन, सभ्य समाज।— आत्मवत् सर्वभूतेषु, वसुधैव कुटुंबकम्।
— एक राष्ट्र, एक भाषा, एक धर्म, एक शासन।— लिंगभेद, जातिभेद, वर्गभेद से ऊपर उठकर सबको विकास का अवसर।योजना के उद्घोषक-विस्तारक— युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य एवं वन्दनीया माता भगवती देवी शर्मा
इक्कीसवीं सदी- उज्ज्वल भविष्य हम सुधरेंगे-युग सुधरेगा। हम बदलेंगे-युग बदलेगा।
सावधान। नया युग आ रहा है।
हमारी युग निर्माण योजना- सफल हो, सफल हो, सफल हो।
वन्दे- वेद मातरम्।