मंत्र तंत्र यंत्र चैनल में आप सभी का स्वागत हैआज मैं आप सभी के लिए गृह बाधा शांति साबर मंत्र लेकर आया हूं
यह मंत्र जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में साधक की रक्षा करता है । किसी दूकान या मकान में प्रेत-बाधा, तांत्रिक-अभिचार प्रयोग, कुदृष्टि आदि कारणों से धन-धान्य, व्यवसाय आदि की वृद्धि न होकर सदैव हानिकारक स्थिति हो, ऐसी स्थिति में इस मंत्र का प्रयोग करने से उस स्थान के समस्त दोष-विघ्न और अभिशाप आदि दुष्प्रभाव समाप्त हो जाते हैं ।
इसके अलावा कोई भी व्यक्ति इसे सिद्ध करके स्वयं को सुरक्षित कर सकता है । जिसने इसे सिद्ध कर लिया हो, ऐसा व्यक्ति कहीं भी जाए, उसको किसी प्रकार की शारीरिक हानि की आशंका नहीं रहेगी । केवल आततायी से सुरक्षा ही नहीं, बल्कि रोग-व्याधि से मुक्ति दिलाने में भी यह मंत्र अद्भुत प्रभाव दिखाता है ।
इस मंत्र को सिद्ध करने की विधि इस प्रकार है
इस मंत्र को किसी भी मंदिर में या ,घर में जिस किसी भी देवता को आप मानते होंगे उनके सम्मुख घी या तेल का दीपक जलाकर धूप, पुष्प आदि से पूजन कर २१ दिन तक प्रतिदिन १०८ बार जप करने से यह मंत्र सिद्ध हो जाएगा
इस मंत्र को प्रयोग करने की विधि इस प्रकार है
साधक कहीं भी जाए, रात को सोते समय इस मंत्र को पढ़कर अपने आसन के चारों ओर रेखा खींच दे या जल की पतली धारा से रेखा बना ले, फिर उसके भीतर निश्चित होकर बैठे अथवा सोयें ।
रोग व्याधि में इस मंत्र को पढ़ते हुए रोगी के शरीर पर सात बार हाथ फेरा जाए तो तत्काल वह व्यक्ति व्याधि से मुक्त हो जाता है ।
घर में जितने द्वार हो उतनी लोहे की कील लें । और जितने कमरे हों, प्रति कमरा दस ग्राम के हिसाब से साबुत काले उड़द लें । थोड़ा-सा सिन्दूर तेल या घी में मिलाकर कीलों पर लगा लें । कीलों और उड़द पर 7-7 बार अलग-अलग मंत्र पढ़कर फूंक मारकर अभिमंत्रित कर लें । व्याधि-ग्रस्त घर के प्रत्येक कमरे या दुकान में जाकर मंत्र पढ़कर उड़द के दाने सब कमरे के चारों कोनों में तथा आँगन में बिखेर दें और द्वार पर कीलें ठोक दें । ऐसा करने से प्रेत बाधातांत्रिक अभिचार प्रयोग कुदृष्टि उस स्थान के समस्त दोष-विघ्न और अभिशाप आदि दुष्प्रभाव समाप्त हो जाते हैं ।
बालक या किसी व्यक्ति को नजर लग जाए, तो उसको सामने बिठाकर मोरपंख या लोहे की छुरी से मंत्र को सात बार पढ़ते हुए रोगी को झाड़ना चाहिए । यह क्रिया तीन दिन तक सुबह-शाम दोनों समय करें । अवश्य फायदा होगा
यह मंत्र में 108 बार जाप करके दे रहा हूं कृपया उसे प्रतिदिन सुने
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मन्त्रः-
ॐ नमो आदेश गुरु को।
ईश्वर वाचा अजपी बजरी बाड़ा,
बज्जरी में बज्जरी बाँधा दसौं दुवार
छवा और के घालो तो पलट बीर उसी को मारे ।
पहली चौकी गणपति, दूजी चौकी हनुमन्त,
तिजी चौकी भैंरो, चौथी चौकी देत
रक्षा करन को आवे श्री नरसिंह देवजी ।
शब्द साँचा पिण्ड काँचा,
ऐ वचन गुरु गोरखनाथ का जुगोही जुग साँचा,
फुरै मन्त्र ईशवरी वाचा ।