आचार्य चाणक्य के अस्तित्व को ही अंग्रेजों और वामपंथी इतिहासकारों ने असत्य बताने का प्रयास किया है यद्यपि उनके लिये मौर्य इतिहास के इस महत्वपूर्ण चरित्र को खारिज करना इसलिये आसान नहीं था क्योंकि अनेक साहित्यिक साक्ष्य उपलब्ध हैं। आचार्य चाणक्य के विषय में भागवत, विष्णु पुराण सहित अनेक पुराणों में उल्लेख मिलते हैं। जैन ग्रंथों में उत्तराध्यायन सूत्र और परिशिष्ट पर्व महत्व के संदर्भ है जो चाणक्य से जुडे विवरणों को सामने रखते हैं। महाबंशो, विनयपिटक की टीका, वंशत्थप्पकासिनी आदि बौद्ध साहित्य में भी चाणक्य के उल्लेख हैं। यह भूमिका इसलिये क्योंकि चाणक्य चर्चित हैं, साक्ष्यों से सिद्ध हैं इसके बाद भी उनके साथ इतिहास ने ऐसा व्यवहार किया है, मानों वे कोई मिथक हों। यह ठीक है कि कौटिल्य के जन्मस्थान को ले कर भिन्न भिन्न तरह के विवरण मिलते हैं। यही नहीं कतिपय मान्यतायें हैं कि उनके चर्चित नाम कौटिल्य, चाणक्य और विष्णुगुप्त के अतिरिक्त भी वात्स्यायन, मलंग, द्रविमल, अंगुल, वारानक्, कात्यान इत्यादि को भी सामने रखती हैं। इसके साथ ही साथ उनकी मृत्यु कैसे हुई इसे ले कर भी अनेक अलग अलग मत चर्चित हैं। जिस व्यक्ति का जीवन और कर्म अत्यधिक रहस्यमयी रहा हो उसके विषय में सीधी सीधी जानकारियाँ मिलनी कैसे सम्भव है? आचार्य चाणक्य की मृत्यु कैसे हुई उसे ले कर विभिन्न संदर्भों से तीन संभाव्यतायें सामने आती हैं पहले निर्पेक्षता से तीनों को अलग अलग विवेचित करते हैं, अंत में निष्कर्षों पर विमर्श प्रस्तुत करूंगा। विस्तार से देखेंं इस विडियो में।
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