लघुकथा- जमाई राजा
लेखन- वन्दना पाराशर
निर्माण एवं निर्देशन- हिमांशु याज्ञिक
जमाई राजा की कहानी बुन्देलखण्ड की लोक कथा से ली गई है| अपने द्ददा के कहने पर पाहूना जी ससुर जी का तबियत देखने और अपने बहुरिया को लाने ससुराल जाते हैं | रास्ते में घटित घटनाएं उनके ससुराल पहुँचने पर जाने-अनजाने उनपर ज्योतिषि का तमगा लग जाता है|
गाँव के मुखिया की बेटी के गहने चोरी होने पर उनकी ज्योतिषि की असली परीक्षा होती है, लेकिन उनसे भी पाहूना जी खवासन के द्वारा जानकारी मुहैया कराने पर चोरी हुए गहने के बारे में जमाई बाबू मुखिया को बता देते हैं जिससे खुश होकर मुखिया पाहूना जी को गाय,भैंस,सोने-चांदी के गहने और जमाई बाबू के बहुरिया के लिए कमरबंद देते हैं | वन्दना पाराशर ने अपनी कहानी के माध्यम से एक जमाई बाबू को अपनी परेशानियों से निजात पाने को बहुत ही रोचक तरीके से दिखाया है|
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