यह कहानी जया जादवानी जी की लिखी हुई है जिसमे एक स्त्री इशिता कौर के जीवन की दुखभरी दास्तान से लेकर एक सशक्त और आत्मविश्वासी स्त्री बनने तक की कथा है।