अपनों के बीच पराएपन का एहसाह l वापसी कहानी l Usha Priyamwada #साहित्य @HelloZindagiWithRushali
लेखिका - उषा प्रियंवदा
कहानी - वापसी
स्वर - रुशाली राजवाड़े
पाठ का उद्देश्य -
संवेदनशीलता का शून्य पर आ जाना , स्वाभिमान के खंडित होने की दशा , मतलबियों की बढ़ती संख्या , समाज की सच्चाई से रू-ब-रू होंगे , वापसी के दो अर्थों का बोध , अपनों के बीच पराएपन का एहसाह।
कथानक की समीक्षा -
गजाधर बाबू 35 वर्ष रेलवे में नौकरी करने के बाद रिटायर होकर अपने घर जाते हैं, चैन का जीवन बिताने। 35 वर्ष तो काम तथा तबादलों के धकापेल में बीते थे। नौकरी के दौरान उन्होंने अनुभव किया था कि उनके बच्चे और पत्नी उनका बड़ा सम्मान और सेवा करते हैं। परंतु रिटायर होकर घर आने के बाद उनकी यह खुशी क्षणिक ही रहती है। वे अनुभव करते हैं कि वे घर के लिए एक अनचाहे मेहमान हैं। पुत्र-पुत्री, पुत्र वधू सभी उनसे कटते हैं। पत्नी काम-धंधों में व्यस्त रहती है। इस असहाय स्थिति से ऊब कर वे नई नौकरी खोजते हैं और पुनः अकेले घर छोड़कर चले जाते हैं। गजाधर बाबू के जीवन की विडंबना हमारे आधुनिक मध्यवर्गीय समाज पर ऐसा व्यंग्य है कि वह हमारी आस्था को हिला देती है। उषा प्रियंवदा ने इस सत्य को सहज-स्वाभाविक भाषा के माध्यम से हृदयस्पर्शी बना दिया है। आज हमारे समाज में अनेक ऐसे उपेक्षित वृद्ध हैं जो अंत समय तक ऐसे ही जीते हुए अपना समय बिताते हैं।
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vapasi ( वापसी )कहानी कैसी लगी मुझे कॉमेंट करके जरूर बताईये।
thanks for watching
❤️
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