कभी खाली मत बैठो।
इस कहानी का सारांश यह बताता है की,
एक लड़का था जिनका नाम था मोहन वह खेलने कूदने में ज्यादा समय बर्बाद करता था। उसकी मां अक्सर उसकी समझते ही, लेकिन मोहन उनकी बातों को हल्के में लेता, कुछ समय बाद गांव में एक प्रसिद्ध व्यापारी आता है. मैं ऐसे बच्चों को अपने कारखाने में नौकरी दूंगा जो मेहनती है. लेकिन इसके लिए एक परीक्षा होगी.
क्या मोहन इस परीक्षा में पास कर पाएगा?