मार्था और मरियम दोनों बहने थी। और उनका अल अलग व्यक्तित्व था।1. मार्था ने अपने घर को प्रभु के लिए और उसके शिष्यों के लिए खोला।
2. मार्था का निर्णय साहसिक था।
3. मार्था को पहुनाई का वरदान था।
4. मार्था का एक ही उद्देश्य था की प्रभु यीशु मसीह की और उसके शिष्यों की अच्छी देखभाल कर सकें और उन्हें अच्छा भोजन बनाकर खिला सके।
5. मार्था का संबंध प्रभु से सीधा था उसने अपनी हर परिस्थिति से प्रभु को अवगत कराया।
इसके ठीक विपरीत 1.मरियम का ध्यान प्रभु के वचनों पर था।
6. मरियम ने पहली प्राथमिकता परमेश्वर के वचन को दी।
7. उसने अवसर को बहुमूल्य जाना। कि प्रभु की वाणी को सुनकर उसे आत्मसात कर सकें।
8 मरियम का महिला होते हुए भी प्रभु के पांव के पास बैठकर परमेश्वर के वचन को सुनना उसके सच्चे समर्पण को दर्शाता है।
दोनों के अलग अलग व्यक्तित्व होने के बावजूद भी दोनों का एक ही उद्देश्य था प्रभु की सेवा कर सके। एक ऐसा परिवहन जो परमेश्वर की सेवा करने के लिए हमेशा तत्पर रहता था। और इस परिवार से प्रभु की अपार स्नेह करते थे।