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Mughal Emperor Shahjahan ने Agra से Delhi Capital Transfer कर क्यों बनवाया था Red Fort History

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Mughal Emperor Shahjahan ने Delhi का Red Fort क्यों बनवाया, Agra छोड़ने का क्या था History
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In 1631, Mumtaz Mahal, wife of the Mughal emperor, dies. Shahjahan wanted to build a mausoleum in memory of his late wife which he had promised to Mumtaz. He gives the responsibility of this work to his chief architect Ustad Ahmed Lahauri. On the orders of the Emperor, Lahori starts the construction work of Taj Mahal. Seven years after laying the foundation of Taj Mahal, Shah Jahan suddenly decides to transfer the Mughal capital Agra from Delhi.This decision was shocking because on one hand Shahjahan was building the Taj Mahal in Agra in memory of his wife Mumtaz Mahal and on the other hand he wanted to make Delhi the new capital. After all, why Shahjahan wanted to leave Agra was a mystery to everyone...Did Shah Jahan want to get rid of the memories of his most beloved wife or was it something else... There were many reasons, not just one... Sultanate was first, love was second...


सन 1631 में मुगल बादशाह की पत्नी मुमताज महल की मौत हो जाती है. शाहजहां अपनी मरहूम बीवी की याद में एक ऐसा मकबरा बनवाना चाहते थे जिसका उन्होंने मुमताज से वादा किया था. इस काम का जिम्मा वो अपने मुख्य वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी को देते हैं. बादशाह के फरमान पर लाहौरी ताज महल के निर्माण का काम शुरू कर देते हैं. ताज महल की नींव रखने के सात साल बाद शाहजहां अचानक मुगलिया राजधानी आगरा से दिल्ली तबादला करने का फैसला करते हैं. ये फैसला चौंकाने वाला था क्योंकि एक तरफ शाहजहां अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में आगरा में ताजमहल बनवा रहे थे और दूसरी तरफ दिल्ली को नई राजधानी बनाना चाहते थे. आखिर शाहजहां आगरा छोड़ना क्यों चाहते थे ये सबके लिए पहेली बना हुआ था...क्या शाहजहां अपनी सबसे महबूब पत्नी की यादों से छुटकारा पाना चाहते थे या फिर बात कुछ और थी... वजह एक नहीं कई थीं...सल्तनत पहले थी मोहब्बत उसके बाद...

दरअसल भारत के उत्तर पश्चिम में मुगलिया सल्तनत के खिलाफ लगातार विद्रोह हो रहा था. काबुल और उसके आसपास के इलाके में आक्रमण बढ़ गए थे. दक्षिण में भी मुगलिया सेना को लगातार जूझना पड़ रहा था. ऐसे में शाहजहां के एक ऐसा जगह चाहिए थी जहां से वो अपनी रियासत को कंट्रोल कर सके. अपनी नई राजधानी के लिए शाहजहां ने पहले लाहौर को चुना. लेकिन ये पैसला अमल में न आ सका क्योंकि आगरा से दिल्ली राजधानी को बदलने के दौरान सेना, साजो सामान, तोपें, हाथी घोड़ों को वहां जल्दी नहीं पहुंचाया जा सकता था. ऐसे में शाहजहां ने दिल्ली को चुना गया. मुगल यमुना नदी के रास्ते आगरा से शाही सामान और सेना को आसानी से दिल्ली शिफ्ट करने में सक्षम थे. दिल्ली से पहले भी कई सुल्तानों, राजाओं और बादशाहों ने देश पर हुकूमत की थी. दिल्ली शाही मुगल सूबों में से एक थी, जो अवध, आगरा, अजमेर, मुल्तान और लाहौर सूबों की सीमा पर था। विद्रोहियों तक अपनी सेना को समय पर पहुंचाने के लिए दिल्ली को नई राजधानी के तौर पर चुना गया.

दूसरी तरफ आगरा जो मुगलों की पुरानी राजधानी थी उसकी आबादी बढ़ती जा रही थी. आगरा की सड़कें सेना के बड़े लश्करों जिसमें हजारों हाथी, घोड़े, ऊंट हुआ करते थे उनके गुजरने के लिए तंग होती जा रही थीं. शाही जुलूसों और समारोहों के लिए भी आगरा की घनी आबादी रुकावट बन रही थी. शाहजहां एक ऐसा शहर चाहते थे जहां वो कई खूबसूरत इमारतों को बनवा सकें और मुगलिया सल्तनत की शान ओ शौकत को दुनिया को दिखा सकें. शाहजहाँ ने अपने प्रसिद्ध मुख्य वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी को लाल किला और चाँदनी चौक वाले चारदीवारी वाले शहर का निर्माण करने का आदेश दिया।

शाहजहां ने 1638 में किले का निर्माण शुरू करवाया. इस किले को बनाने का मकसद दिल्ली को मुगल साम्राज्य की राजधानी बनाना था. इसका असली नाम किला-ए-मुबारक था, लेकिन लाल बलुआ पत्थर से निर्मित इसकी दीवारों की वजह से इसे लाल किला के नाम से जाना जाता है. इसके निमार्ण में करीब 10 साल का समय लगा और ये 1648 में बनकर तैयार हो गया। इसी साल ताज महल की मुख्य इमारत भी बनकर तैयार हो गई थी लेकिन उसके आस पास की मस्जिदें और बागीचे को बनने में कई साल और लगे. 250 एकड़ क्षेत्रफल में फैले इस किले की वजह से दिल्ली को शाहजहांनाबाद कहा जाता था. लाल किले की दीवारें 1.5 मील यानी 2.5 किमी लंबी हैं. पहले यमुना नदी लाल किले से एकदम सटकर बहती थी, लेकिन समय के साथ जलस्तर कम होने और अतिक्रमण ने किले को यमुना नदी से दूर कर दिया. बुर्जों से मजबूत इन दीवारों की ऊंचाई नदी की तरफ 18 मीटर यानी 59 फीट से लेकर शहर की ओर 33 मीटर यानी 108 फीट तक है। किला अष्टकोणीय है, जिसका उत्तर-दक्षिण अक्ष पूर्व-पश्चिम अक्ष से ज्यादा लंबा है। संगमरमर, फूलों की सजावट और किले के दोहरे गुंबद बाद की मुगल वास्तुकला नमूना पेश करते हैं। वास्तुकला के अद्भुत उदाहरण लाल किले में कई महल, मस्जिदें, बाग और दरबार हैं. किले में वर्तमान में तीन प्रमुख दरवाजे हैं, जिनके नाम दिल्ली दरवाजा, लाहौरी दरवाजा, खेजरी दरवाजा है. लाहौरी और दिल्ली गेट का इस्तेमाल जनता द्वारा किया जाता था, जबकि खिज्राबाद गेट बादशाह के लिए रिजर्व था। लाहौरी गेट लाल किले के मुख्य प्रवेश द्वार के तौर पर काम करता है, जो छत्ता चौक की ओर जाता है, एक गुंबददार खरीदारी जगह जिसे अक्सर ढका हुआ बाजार कहा जाता है।

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