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'जहाज का पंछी ' उपन्यास का नामकरण/Upnyas Ka Namkaran

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उपन्यास का नामकरण करने से पूर्व उस उपन्यास के मूल-कथ्य, पात्र, उद्देश्य, मूल भाव आदि का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। नामकरण सरल, मौलिक, संक्षिप्त एवं जिज्ञासा उत्पन्न करने वाला होना चाहिए। आकर्षक एवं उपयुक्त नामकरण वाली रचना पाठक एवं आलोचक को स्वयं ही अपनी ओर आकर्षित कर लेती है 'जहाज़ का पंछी' उपन्यास का नामकरण प्रतीकात्मक पद्धति पर रखा गया है। इस उपन्यास का कथानायक समाज में व्याप्त विभिन्न विषमताओं, विकृतियों परिस्थितियों आदि को दूर करने के लिए निरन्तर समाज से संघर्ष कर रहा हैं वह इनसे पलायन कर कहीं कुछ समय के लिए रूकता भी है परन्तु फिर इन विसंगतियों को दूर करने के लिए इन्हीं के बीच आ जाता है। यह सांसारिक विसंगतियां ही जहाज़ हैं जिनसे जूझने के लिए बार-बार कथानायक रूपी पंछी वहां आता है। उनसे भागते हुए कहीं रूकना चाहता है परन्तु उसके मन में जो इन विसंगतियों को दूर करने की भावना है। वह उसे उसी संघर्षपूर्ण वातावरण में खींच लाती है। https://youtu.be/6u4TKNHQdts?si=L8HXlolq_ZuWnVnB #hindi#sahitya

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