ईश्वर ने अमीर और ग़रीब दोनों को जो चीज़ एक सामान दी है है वो है ममता एक ग़रीब भी अपने बच्चों से उतनी ही मुहब्बत करता है जितना एक अमीर करता है
ये मासूम सवाल नज़्म में एक जगह एक लफ़्ज़ (शब्द) मुहमल प्रयोग किया गया है
मुहमल शब्द ऐसे शब्द को कहते हैं जिसके कोई अर्थ न हों जैसे चाय-वाय इसमें चाय का अर्थ है लेकिन वाय का कोई अर्थ नहीं है इसी तरह कार-वार, बोतल-शोतल आदि लफ़्ज़ों (शब्दों) को मुहमल लफ़्ज़ कहते हैं
हम अभिवावक पति पत्नी जो भी बात चीत घर में करते हैं हमारे बच्चे उनको सुनते हैं और कभी कभी ऐसे ऐसे सवाल कर देते हैं जिनका जवाब माता पिता जानते हुए भी छोटे मासूम बच्चों को देना नहीं चाहते मेरी ये नज़्म (कविता)मेरी सब से छोटी बेटी अरनी सहर के अचानक किये गए ऐसे ही एक मासूम सवाल के बाद मेरे दिल मे उठे भावुकता के पलों की है ....आदिल रशीद
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(नज़्म मासूम सवाल)
वो मेरी मासूम प्यारी बेटी
है उम्र जिसकी के छ बरस की
ये पूछ बैठी बताओ पापा
जो आप अम्मी से कह रहे थे
जो गुफ्तुगू आप कर रहे थे
के ज़िन्दगी में बहुत से ग़म हैं
बताओ कहते है "ग़म" किसे हम?
कहाँ मिलेंगे हमें भी ला दो?
सवाल पर सकपका गया मैं
जवाब सोचा तो काँप उठ्ठा
कहा ये मैं ने के प्यारी बेटी
ये लफ्ज़ मुहमल है तुम न पढना
तुम्हे तो बस है ख़ुशी ही पढना
ये लफ्ज़ बच्चे नहीं हैं पढ़ते
ये लफ्ज़ पापा के वास्ते है
ये लफ़्ज़ अम्मी के वास्ते है
वो मुतमईन हो के सो गई जब
दुआ की मैं ने ए मेरे मौला
ए मेरे मालिक ए मेरे खालिक
तू ऐसे लफ़्ज़ों को मौत दे दे
मआनी जिसके के रंजो गम हैं
न पढ़ सके ताके कोई बच्चा
न जान पाए वो उनके मतलब
नहीं तो फिर इख्तियार दे दे
के इस जहाँ की सभी किताबों
हर इक लुगत से मैं नोच डालूं
खुरच दूँ उनको मिटा दूँ उनको
जहाँ -जहाँ पर भी ग़म लिखा है
जहाँ -जहाँ पर भी ग़म लिखा है
نظم : معصوم سوال
وہ میری معصوم پیاری بیٹی
ہے عمر جس کی کہ چھ برس کی
یہ پوچھ بیٹھی بتاؤ پاپا
جو آپ امّی سے کہہ رہے تھے
جو تذکرہ آپ کر رہے تھے
کہ زندگی میں بہت سے غم ہیں
بتاؤ کہتے ہیں غم کسے ہم
کہاں ملیں گے، ہمیں بھی لا دو
سوال پر سٹپٹا گیا میں
جواب سوچا تو کانپ اٹّھا
کہا یہ میں نے کہ پیاری بیٹی
یہ لفظ "مہمَل" ہے تم نہ پڑھنا
تمہیں تو بس ہے خوشی ہی پڑھنا
یہ لفظ بچّے نہیں ہیں پڑھتے
یہ لفظ "پاپا"کے واسطے ہے
یہ لفظ امّی کے واسطے ہے
وہ مطمئن ہو کے سو گئ جب
دعا کی میں نے اے میرے مالک
اے میرے خالق، اے میرے رازق
تو ایسے لفظوں کو موت دے دے
معنی جن کے کہ رنج و غم ہیں
نہ پڑھ سکے تاکہ کوئ بچّہ
نہ جان پاۓ وہ اُن کے مطلب
نہیں تو پھر اختیار دے دے
کہ اِس جہاں کی سبھی کتابوں
ہر اِک لغت سے میں نوچ ڈالوں
کھرچ دوں اُن کو، مٹا دوں اُن کو
جہاں جہاں پر بھی غم لکھا ہے
جہاں جہاں پر بھی غم لکھا ہے
عادل رشید