MENU

Fun & Interesting

Parmarthik Swarth 7/8 पारमार्थिक स्वार्थ-भाग 7/8

Video Not Working? Fix It Now

.       ★ पारमार्थिक स्वार्थ ★ जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज               द्वारा स्वरचित पद  'जोइ स्वारथ  पहिचान,  धन्य  सोइ'                  की व्याख्या                लेक्चर भाग-7 अगर थोड़ी भी फीलिंग होती,  तो फिर श्यामसुन्दर तो अपनी भुजाओं को पसारे खड़े हैं। जरा-सा about turn होने की देर है कहीं जाना भी नहीं है  कि हाँ हमको बद्रीनाथ की यात्रा करने में बड़ी प्रॉब्लम है। यः आत्मनि तिष्ठति। आप उसी के भीतर रहते हैं। कहीं ढूँढ़ना नहीं है। केवल हम भूले हुये हैं। आप लोग प्रश्न करते हैं, भगवत्प्राप्ति कैसे हो? अरे, प्राप्ति तो है, कैसे हो क्यों बोलते हो? भगवत्प्राप्ति है, सबको है, बिना माँगे है। आप जब उसी में रहते हैं,  तो फिर भगवत्प्राप्ति नहीं है, आप कैसे बोलते हैं? अब आप realize न करें उसको, ये गलती आपकी है। किसी को सोने की थाली में छप्पन व्यंजन परोस कर दिये जायें वो कहे, मुझे भूख लगी है खाना खा लो खाना है ही नहीं है सामने तो रखा है खाये कौन? ये क्या बात हुई? अरे, सामने रखा है, खाओ न। खाने की आलकस।  गोबर-मिट्टी खाये जायेंगे, पक्वान्न नहीं खायेंगे। ये हमारी अपनी भूल है। भगवत्प्राप्ति तो सबको है, सदा है।

Comment