हैती की राजधानी पोर्ट-ऑ-प्रिंस में क़रीब 30 लाख लोग गैंगवॉर की चपेट में हैं. इस फ़िल्म के क्रू ने एक पखवाड़े तक शहर और इसके आसपास शूटिंग करके दिखाया है कि गिरोहों के क्रूर शासन के बीच आम लोग कैसी पीड़ा झेल रहे हैं.
अब 80 फ़ीसदी से ज़्यादा शहर गिरोहों के क़ब्ज़े में है. राजधानी के सबसे कुख्यात सरगनाओं में से एक जिमी शेरिज़िए है, जिसे ‘बारबेक्यू’ के नाम से जाना जाता है. उसका कहना है कि गिरोह इतनी जल्दी हथियार नहीं डालेंगे. पोर्ट-ऑ-प्रिंस की झुग्गियों में अपने गढ़ से उसने कहा, ‘हम बातचीत में शामिल होने की मांग करते हैं. ऐसा नहीं होगा, तो हम लड़ते रहेंगे’. ‘बारबेक्यू’ राजधानी में कई गिरोहों के एक ताक़तवर गठबंधन का मुखिया है. ये हथियारबंद गिरोह एक-दूसरे से लड़ने के बजाए एकजुट हो गए और सरकार को घुटनों पर ले आए. इसी वजह से हैती के प्रधानमंत्री अरियल ऑंरी को मार्च 2024 में अपनी विदेश यात्रा के दौरान ही इस्तीफ़ा देना पड़ा.
आज इन गिरोहों के पास काफ़ी आर्थिक और सैन्य ताक़त है. पोर्ट-ऑ-प्रिंस के ज़्यादातर समुद्री तटों और इस तरह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देश के बंदरगाहों के आसपास के इलाक़ों पर भी उनका क़ब्ज़ा है. हैती आयात पर बहुत ज़्यादा निर्भर है और अपने भोजन का 50 फ़ीसदी से ज़्यादा हिस्सा जहाज़ों से आयात करता है. पर्याप्त उपजाऊ ज़मीन वाले देश के लिए यह चौंकाने वाला आंकड़ा है. कई हैतीवासी इन हालात के लिए भ्रष्ट अमीरों को ज़िम्मेदार मानते हैं. लोगों का आरोप है कि अभिजात वर्ग से ये लोग ज़रूरी संसाधनों पर एकाधिकार के ज़रिए अपनी पारिवारिक संपदा का विस्तार कर रहे हैं.
वहीं पोर्ट-ऑ-प्रिंस की झुग्गी-झोपड़ियों में, जहां गिरोहों का क़ब्ज़ा है, वहां हज़ारों लोग हैं, जो या तो भाग सकते नहीं हैं या भागना चाहते नहीं हैं. हत्याएं, अपहरण, सामूहिक बलात्कार और आगजनी यहां की आम घटनाएं हैं और इस संकट का कोई अंत भी नज़र नहीं आ रहा है.
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