"बतियाँ दौरावत” के सुननेवालोंका आज के आख्यान में एक बार फिर प्यार भरा स्वागत ! आजके आख्यान में मैं कुल तीन रागों के बारे में ‘बतियाँ’ करूंगी। यह राग हैं- 'बैरागी', ‘बैरागी तोडी' तथा ‘विभावती'। इन रागों के बारे में, इनके नियम, तथा इनके बीच की नजदीकियों के बारे में 'बतियाँ' करूँगी और इनमें रचित बंदिशों की भी प्रस्तुती करूँगी | आज के आख्यान को 'राग की कहानी' इस नाम से प्रस्तुत करती हूँ।
राग बैरागी
गंधार और धैवत को वर्जित कर, रिषभ और निषाद के कोमल रूपों को उपयोजित करने वाला यह ओडव ओडव जाति का राग है, जिसका गायनसमय प्रभातके पहले प्रहर - यानि की ललित, विभास आदि के साथका बताया गया है। यूँ तो कर्नाटकी गायन शैली में इसी स्केल को 'रेवती' इस सुंदर नाम से जाना जाता है। परंतु पंडित रविशंकरजी ने 'बैरागी' को खुद का राग बताया है| इस राग के स्वरोका उच्चारण संस्कृत श्लोक या स्तोत्र के chanting की अनुभूति देता है। इस राग में एक बंदिश सुनते हैं जिस में मैंने कैलास पर्वत पर ध्यानमग्न अवस्था में बैठे श्रीशिवशंकर की कल्पना की है।
राग बैरागी तोडी
राग बैरागी का बिलासखानी तोडी से नाता जोडकर पंडित रविशंकर जी - जिन्हें मैं ‘गुरुजी' कहकर पुकारती थी- के द्वारा राग बैरागी तोडी की निर्मिती हुई थी। सन् था 1970। बैरागी की ही तरह ओडवओडव जातिवाले इस राग में पंडित जी ने शुध्द मध्यम को वर्जित कर, उस की जगह पर कोमल गांधार का प्रयोग किया और तोडी के करुणामयी स्वरूप का एहसास कराया। बैरागी के गंभीर, उदात्त, पवित्र भाव के साथ बिलासखानी तोडी की करुणा को जोड़कर गुरुजी ने एक अलग ही कहन वाला राग बनाया ! बैरागी तोडी की दो बंदिशें आपके लिए प्रस्तुत कर रही हूँ।
राग विभावती
राग बैरागी तोडी के बाद मैं आपको एक ऐसे राग की तरफ़ ले चलती हूँ जिसकी जन्म कहानी, मैं बयान कर सकती हूँ। यह राग सन् 2006-2007 में बना था और इसमें मैंने बैरागी के साथ अहिर भैरव को जोड़नेका प्रयास किया है। शुरु शुरू में मैंने इसे 'अहिर बैरागी' नाम से गाया| फिर जैसे जैसे यह राग पक्व होता गया, मुझे इसमे राग विभास की छटाएँ दिखने लगी। इसके स्वतंत्र व्यक्तित्व की अनुभूति होने लगी। इसलिए, फिर मैंने इसका पुनर्नामकरण करते हुए इसे 'विभावती' नाम दिया| इस आख्यान का समापन करूंगी राग विभावती की दो बंदिशों के साथ:- मध्यलय बंदिश “लाज रखो” साढे नौ मात्रा के सुनंद ताल में निबध्द है, तथा द्रुत तीनताल की बंदिश के बोल हैं "सबकी उधारी, मोरी सुध नाही"
Credits:
Written and Presented by : Dr. Ashwini Bhide Deshpande
Creative Ideation: Amol Mategaonkar
Tabla: Siddharth Padiyar
Sound Recording & Mixing: Amol Mategaonkar
Video Recording, Color Grading: Kannan Reddy
Video Editing: Amol Mategaonkar
Special Thanks: Dr. Vinay Kumar Mishra, Raja Deshpande
Opening Title Photo Credit: Varsha Panwar
#BatiyanDaurawat, #hindustaniclassicalmusic, #musicalmusings, #raagbairagibhairag, #morningraag