!! JLM STUDIO KISHANGARH !!
SINGER :- JHUMAR BIRAM RAMASANI
DHOLAK :- JEEVAN BHAI CHOSLA
EDITOR :- MOHIT BHAI
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" गीत का सार "
" चांद चढ़यो गिगनार किरतयां ढल आई आधी रात पिउजी अब तो घरां पधारों मारुडी थारी बिलखे छ जी बिलखे छ"
विरह की वेदना बस यही तो है जब हम किसी का इंतजार करें और वो इंतजार कम ना हो बस बढ़ता ही जाए फिर वो इंतजार विरह की सीमा त्याग संदेह में तब्दील हो जाता है । और उस संदेह का दोषी कोई नही होता पर प्रेम में तड़पती तरसती पत्नी ये सब नही समझ पाती उसके मन में बस सवाल ही सवाल उमड़ते हैं।
यहां भी गौरी हाथों में मेहंदी का गहरा रंग चढ़ा कर आँखों में प्रेम का काजल सजाकर साजन के इंतजार में सेज सजाकर गौरी साजन का इंतजार कर रही हैं ,वो बार बार चाँद तारों को देख कर यही सोच रही है कि उसके साजन कहां रह गयें रात ढलने लगी है चाँद आसमान की ऊंचाई पर है पर साजन को समय कि कोई ख्याल नही है । इस गीत में गौरी की तड़प उसके दुख का एक सुंदर चित्रण किया गया है, कि कैसे गौरी साजन के इंतजार में दीपक जला कर पूरी रात अकेले गुजार रही है कैसे वो दीपक की रोशनी के सहारे साजन का इंतजार कर रही पर जब उसके मन में उठ रहे सवालों पर वो दीपक कि लो को हिलते-डुलते देखती है तो परेशान होकर उसे भी बुझा देती है। इसी इंतजार में रोते बिलखते गौरी अपने काजल से पूरा तकिया काला कर देती है। गौरी के इंतजार ओर संदेह भरे सवालों का सामना जब साजन सुबह करता है तो उसे उसकी तड़प का अहसास होता है ,जब गौरी साजन को सौतन के लिए ताने मरती है तो गौरी को पूरी रात का वृतांत साजन कैसे करते हैं गीत के अंत में वह भी बताया गया है कि कैसे एक विरह भारी रात के बाद सुबह के उजाले में साजन को देखकर गौरी बहुत खुश होती है । गौरी के विरह उसकी खुशी और इंतजार का सुंदर चित्रण
"JLM STUDIO KISHANGARH " ने अपने इस लोकप्रिय गीत में बतलाया भी है और दिखलाया भी है।
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