आदि सतगुरु, सर्व आत्माओं के सतगुरु, सर्व श्रुष्टी के सतगुरु, सतगुरु सुखरामजी महाराज ने इस कलियुग मे जब शरीर धारण किया तो उस शरीर के सतगुरु बिरमदासजी महाराज इनकी महिमा की है वैसे गुरुमहाराज यह भी कहते है की ... प्रभुजी मैं किसका शरणा धारु ? ... भोलपमाही किया गुरू चारी ... वैसे उन्होने भोलेपन मे चार गुरु धारण किये ऐसा वह स्वयं स्पष्ट करते है ... फिर भी जगह जगह सतगुरु बिरमदासजी को उन्होने आपने सतगुरु के रूप मे स्वीकार कर उनकी महिमा की है जो इस गुरुमहिमा मे बताई गयी है ।
वैसे देखा जाये तो श्रुष्टीरचना ग्रंथ मे आप देखोगे तो गुरुमहाराज ही पहले श्रुष्टी मे आये हुये सतगुरु है और तब से लेकर तो अंततक वे ही हर युग मे आते रहेंगे ... ऐसे आदि सतगुरूजी महाराज को कोटी कोटी दंडवत प्रणाम .... ll राम राम सा ll