एमेज़ॉन और फेसबुक जैसी दिग्गज कंपनियाँ अब ज्यादा ताकतवर बन रही हैं. और उनकी वृद्धि दर्शाती है कि इसकी रफ्तार कम नहीं होगी. वो ग्राहकों की नज़र में तो हैं, लेकिन क्या कानूनों से ऊपर उठ चुकी हैं.
वैश्विक महामारी ने चार सबसे दिग्गज कंपनियों एप्पल, एमेज़ॉन, गूगल और फेसबुक को और ज्यादा प्रभावशाली बनाया है। हमारा डाटा, एक बड़ा व्यापार बन चुका है. लेकिन क्या ये कंपनियाँ नियंत्रण से बाहर जा चुकी हैं?
विशेषज्ञ लंबे वक्त से एप्पल और एमेज़ॉन जैसी कंपनियों को विशेषाधिकार हासिल कर एंटीट्रस्ट कानूनों का उल्लंघन करते देख रहे हैं. और जब बात वेतन, टैक्स और कानून की आती है तो यह कंपनियाँ अपने ही नियम लागू करती हैं. कई आलोचकों का कहना है कि फेसबुक और गूगल द्वारा व्यवस्थित तरीके से डेटा का दुरुपयोग, साफ तौर पर हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन है. इसके अलावा देश और दिग्गज कंपनियों के बीच का अंतर घटता जा रहा है. कई देशों का मानना है कि इन दिग्गज टेक कंपनियों से पार पाने का कोई तरीका नहीं है. ऐसा लगता है कि जैसे ये औद्योगिक ताकतें हमेशा के लिए बनी रहेंगी.
बाज़ार आधारित निगरानी प्रणाली, हमारी संप्रभुता को क्षति पहुँचाती है और साथ ही पश्चिमी लोकतंत्र की नींव को भी. यह एक आंधी है जो अमेरिका और यूरोप दोनों जगह ज़ोर पकड़ रही है. लेकिन कंपनियाँ इसे जारी रखने को तैयार हैं. क्या वो इसी खतरनाक रास्ते पर चलना जारी रखेंगी, या फिर हमारे पास उनकी लगाम खींचने का कोई मौका है.
#DWDocumentaryहिन्दी #DWहिन्दी #meta #amazon #google #alphabet
----------------------------------------------
अगर आपको वीडियो पसंद आया और आगे भी ऐसी दिलचस्प वीडियो देखना चाहते हैं तो हमें सब्सक्राइब करना मत भूलिए.
विज्ञान, तकनीक, सेहत और पर्यावरण से जुड़े वीडियो देखने के लिए हमारे चैनल DW हिन्दी को फॉलो करे: @dwhindi
और डॉयचे वेले की सोशल मीडिया नेटिकेट नीतियों को यहां पढ़ें: https://p.dw.com/p/MF1G