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भक्तामर स्तोत्र || संस्कृत || ROOPESH JAIN || BHAKTAMAR STOTRA ||आचार्य मानतुंग कृत आदिनाथ स्तुति

Roopesh jain 149,973 lượt xem 3 years ago
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|| 🙏 BHAKTAMAR STOTRA 🙏. ||

RACHAYITA -- SHREE MANTUNGACHARYA

SINGER. --. ROOPESH JAIN

MUSIC. --. PARSHURAM PATEL

RECORDING. --. SWAR DARPAN STUDIO
JABALPUR
VIDEO. ---. DIVI CREATION

DESIGNING. --. DEEPAK JAIN AVS

MANAGED BY. ----. VAISHALI CASSETTES
PRAMOD JAIN

contact.. kumarroopeahjain@gmail.com
9425882104
9926048017

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प्रेरणा एवम आशीर्वाद
परम् पूज्य संस्कार प्रणेता बालयोगी आचार्य गुरुदेव श्री 108 सौभाग्यसागर जी मुनिराज

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भक्तामर स्तोत्र का जैन धर्म में बडा महत्व है। आचार्य मानतुंग का लिखा भक्तामर स्तोत्र सभी जैन परंपराओं में सबसे लोकप्रिय संस्कृत प्रार्थना है।

भक्तामर स्तोत्र में भगवान ऋषभनाथ का भाव चित्रण किया गया है। इस स्तोत्र के बारे में अनेक किंवदंतियाँ हैं।इसमें सबसे प्रसिद्ध किदवंती यह है कि आचार्य मानतुंग (मानतुंग आचार्य 7वी शताब्दी में राजा भोज के काल में हुए है)को जब राजा भोज ने जेल में बंद करवा दिया था। और उस जेल के 48 दरवाजे थे जिन पर 48 मजबूत ताले लगे हुए थे। तब आचार्य मानतुंग ने भक्तामर स्तोत्र की रचना की तथा हर श्लोक की रचना के साथ ताला टूटता गया। इस तरह 48 शलोको पर 48 ताले टूट गए।

मंत्र शक्ति में आस्था रखने वालो के लिए यह एक दिव्य स्तोत्र है। इसका नियमित पाठ करने से मन में शांति का अनुभव होता है व सुख समृद्धि व वैभव की प्राप्ति होती है। यह माना जाता है कि इस स्तोत्र में भक्ति भाव की इतनी सर्वोच्चता है कि यदि आपने सच्चे मन से इसका पाठ किया तो आपको साक्षात् ईश्वर की अनुभति होती है।

भक्तामर के प्रत्येक काव्य में अलग अलग दिव्य शक्तियां निहित हैं,जिनके श्रद्धा पूर्वक जाप करने से,असाध्य रोग,बीमारियां,शत्रुभय,आदि से मुक्ति प्राप्त होती है एवम रिद्धि, सिद्धि, बुद्धि, शांति, सुख, सुयश, सफ़लता, धन धान्य,विजय,ज्ञान इत्यादि इच्छित मनोरथ पूर्ण होते हैं
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नियमित भक्तामर का जाप एवम श्रवण हर प्राणी के लिए परम कल्याणकारी है.

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