उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए। स्वामी विवेकानंद के ऐसे कई संदेश आज भी देश और दुनिया के लाखों करोड़ों लोगों को प्रेरणा देते हैं.. खासकर युवाओं को। स्वामी विवाकानंद का नाम आते ही एक ऐसे तेजस्वी युवा संन्यासी की छवि मन में उभरती है.. जो ज्ञान के अथाह भंडार हैं.। स्वामी विवेकानंद की सोच और उनका दर्शन विश्व बंधुत्व की भावना से भरा हुआ था। वो एक ऐसा समाज चाहते थे, जहाँ बड़े से बङा सत्य सामने आ सके... दरअसल विवेकानंद के लिए सच ही उनका देवता था.. वो पूरी दुनिया को अपना देश मानते थे। सत्य एक ही है.. उस तक पहुंचने के रास्ते अलग अलग हैं...भारत की इस वैदिक परंपरा को वैश्विक पटल पर रखने वाले स्वामी विवेकानंद.. धार्मिक आधार पर एक दूसरे पर श्रेष्ठता की जगह.... सार्वभौम धर्म की कल्पना करते थे... और ये कोई अलग धर्म नहीं था बल्कि अपने अपने धर्मों में छिपा वैश्विक भाई चारे का सिद्धांत ही था। विवेकानंद भारत की मिट्टी को अपने लिए सबसे बड़ा स्वर्ग मानते थे। वो मानव सेवा में यकीन रखते थे। वो कहते थे कि वो न राजनेता हैं, न ही राजनीति के आंदोलनकारी। उनका ध्यान बस आत्मा पर होता था। वो मानते थे कि अगर आत्मा ठीक है तो सब ठीक है। 12 जनवरी को देश के महान संत, दार्शनिक और करोड़ों युवाओं के प्रेरणास्त्रोत स्वामी विवेकानंद की जयंती है।
Anchor – Vaibhav Raj Shukla
Producer & Script- Ritu Kumar
Production – prakash
Graphics - Nirdesh, amit
Editing – Harish
Social Media - Aparna, Rama Shankar, Purna Chandra Mohapatra