करी के गवनवा भवनवा में छोड़ी करs अपने परइला पुरुबवा बलमुआ | Bhikhari Thakur Bidesiya
समूचे बिदेसिया नाटक में अगर कोई मार्मिकता की हद पार करने वाला सीन है तो वो है..प्यारी और बटोही का संवाद..मित्रों- आप तो जानते हैं बिदेसिया की कथा पलायन की कथा है। पति परदेस चला गया है..गाँव के ही एक बटोही से प्यारी रो-रोकर अपना दुख कह रही है..
बटोही कहता है..
कइसन पिया तोर करिया की हवन गोर।
सचमुच रूपवा बता द प्यारी धनिया
प्यारी जब इसका जबाब देती है. तब आप भिखारी की उत्कृष्ट रचना क्षमता से रूबरू होते हैं..वो जबाब देती है..
करिया ना गोर बाड़े लाम नाहीं हवन नाते
मझिला जवान श्याम सुंदर बटोहिया...
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