*सादर जय जिनेंद्र!*
आत्महित के निमित्तभूत यह *“सहज शांतिविधान”* की अत्यंत सुंदर रचना करके मूर्धन्य विद्वान *आ.पं.अभयकुमारजी शास्त्री, देवलाली*, ने बहुत ही सराहनीय कार्य किया है। इसके द्वारा सम्पूर्ण समाज को पुण्य-लाभ के साथ-साथ शांति की प्राप्ति हो सकती है। एत्दर्थ पंडितजी कोटि-कोटि धन्यवाद के पात्र है। इस लघु विधान के लिए, *“देखन में लागे छोटे पर घाव करे गम्भीर”*, यह उक्ति चरितार्थ होती है।
हम सभी विविध प्रासंगोपर जैसे, जन्म, विवाह, गृहप्रवेश, आदि, इस विधान के माध्यम से नावदेवों के गुणों का स्मरण करे, यही पवित्र भावना है।
धन्यवाद 🙏🙏