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शारदा और सर्वानन्द की सम्पूर्ण कथा | Sant Rampal Ji Satsang | SATLOK ASHRAM

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शारदा और सर्वानन्द की सम्पूर्ण कथा | Sant Rampal Ji Satsang | SATLOK ASHRAM
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क सर्वानन्द नाम के महर्षि थे। उसकी पूज्य माता श्रीमति शारदा देवी पाप कर्म फल से पीडि़त थी। उसने सर्व पुजाऐं व जन्त्र-मन्त्र कष्ट निवारण के लिए वर्षों किए। शारीरिक पीड़ा निवारण के लिए वैद्यों की दवाईयाँ भी खाई, परन्तु कोई राहत नहीं मिली। उस समय के महर्षियों से उपदेश भी प्राप्त किया, परन्तु सर्व महर्षियों ने कहा कि बेटी शारदा यह आप का पाप कर्म दण्ड प्रारब्ध कर्म का है, यह क्षमा नहीं हो सकता, यह भोगना ही पड़ता है। भगवान श्री राम ने बाली का वध किया था, उस पाप कर्म का दण्ड श्री राम (विष्णु) वाली आत्मा ने श्री कृष्ण बन कर भोगा। श्री बाली वाली आत्मा शिकारी बनी। जिसने श्री कृष्ण जी के पैर में विषाक्त तीर मार कर वध किया। इस प्रकार गुरु जी व महन्तांे व संतों - ऋषियों के विचार सुनकर दुःखी मन से भक्तमति शारदा अपना प्रारब्ध पापकर्म का कष्ट रो-रो कर भोग रही थी। एक दिन किसी निजी रिश्तेदार के कहने पर काशी में (स्वयंभू) स्वयं सशरीर प्रकट हुए (कविर्देव) कविर परमेश्वर अर्थात् कबीर प्रभु से उपदेश प्राप्त किया तथा उसी दिन कष्ट मुक्त हो गई। क्योंकि पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में लिखा है कि ‘‘कविरंघारिरसि‘‘ अर्थात् (कविर्) कबीर (अंघारि) पाप का शत्राु (असि) है। फिर इसी पवित्रा यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 में लिखा है कि परमात्मा (एनसः एनसः) अधर्म के अधर्म अर्थात् पापों के भी पाप घोर पाप को भी समाप्त कर देता है। प्रभु कविर्देव (कबीर परमेश्वर) ने कहा बेटी शारदा यह सुख आप के भाग्य में नहीं था, मैंने अपने कोष से प्रदान किया है तथा पाप विनाशक होने का प्रमाण दिया है। आप का पुत्रा महर्षि सर्वानन्द जी कहा करता है कि प्रभु पाप क्षमा (विनाश)नहीं कर सकता तथा आप मेरे से उपदेश प्राप्त करके आत्म कल्याण करो। भक्तमति शारदा जी ने स्वयं आए परमेश्वर कबीर प्रभु (कविर्देव)से उपदेश लेकर अपना कल्याण करवाया। महर्षि सर्वानन्द जी को जो भक्तमति शारदा का पुत्रा था, शास्त्रार्थ का बहुत चाव था। उसने अपने समकालीन सर्व विद्वानों को शास्त्रार्थ करके पराजित कर दिया। फिर सोचा कि जन - जन को कहना पड़ता है कि मैंने सर्व विद्वानों पर विजय प्राप्त कर ली है। क्यों न अपनी माता जी से अपना नाम सर्वाजीत रखवा लूं। यह सोच कर अपनी माता श्रीमति शारदा जी के पास जाकर प्रार्थना की। कहा कि माता जी मेरा नाम बदल कर सर्वाजीत रख दो। माता ने कहा कि बेटा सर्वानन्द क्या बुरा नाम है ? महर्षि सर्वानन्द जी ने कहा माता जी मैंने सर्व विद्वानों को शास्त्रार्थ में पराजित कर दिया है। इसलिए मेरा नाम सर्वाजीत रख दो। माता जी ने कहा कि बेटा एक विद्वान मेरे गुरु महाराज कविर्देव (कबीर प्रभु)को भी पराजित कर दे, फिर अपने पुत्र का नाम आते ही सर्वाजीत रख दूंगी। माता के ये वचन सुन कर श्री सर्वानन्द पहले तो हँसा, फिर कहा माता जी आप भी भोली हो। वह जुलाहा (धाणक)कबीर तो अशिक्षित है। उसको क्या पराजित करना? अभी गया, अभी आया।

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