Satsang No 1
एक ऐतिहासिक घटना है बड़ी प्यारी कि कैसे श्री गुरु महाराज जी कर्म काटते है हमारे...
पर अगर हम ही बेईमान हो जाए तो गुरु क्या करें??
श्री गुरु महाराज जी का एक प्रेमी है
बरदार सिंह , जो सत्संग के समय पर श्री गुरु महाराज को चवर झुलाता है ..
कई महीनों से सेवा कर रहा है पर कभी कुछ मांगा नहीं गुरु महाराज जी से
बड़ा प्यार प्रेमी है पर उसके घर में औलाद नहीं है ... उसकी घर वाली बहुत बार कहती है कि हमारे श्री गुरु महाराज जी
समरथ गुरु है, पूर्ण गुरु है ..क्यों नहीं उनसे कहते कि घर में औलाद नहीं है
तो वो प्रेमी जवाब देता है कि मैं श्री गुरु महाराज की सेवा करते हुए कई कौतब देखता हूं वो पूर्ण है और ऐसे गुरु से कोई
दुनियावी चीज मांगते हुए शर्म आती है
वो अंतरजमी पातशा है सबके अंदर की जानते हैं क्या उन्हें नहीं पता कि मेरे घर पर औलाद नहीं जब देनी होगी दे देंगे
घरवाली भी चुप कर जाती है पर घरवाली की सहेलियां उसे उससाती है कि तुम्हारा गुरु पूर्ण नहीं है अगर पूरा होता तो घर में औलाद जरूर दे देता
तुम चलो हमारे साथ एक पीर बाबा है
उसके पास चलो जो भी एक बार भी जाता है वह
जो मंत्र बताते हैं जो कहते हैं वह करने से घर में औलाद हो जाती है
वो अपने पति से कहती है कि आज श्री गुरु महाराज जी से
जरूर मांग के आना क्योंकि मेरी सहेलियां ताने मारती है कि अगर गुरु पूरा होता तो झोली जरूर भर देता अब तक नहीं भरी तुम्हारा गुरु अधूरा है आज यह प्रेमी भी चला गया श्री गुरु महाराज जी के पास पर पीछे नहीं खड़ा हुआ
चवर साब के लिए आगे खड़ा हो गया झोली फैलाकर
अब श्री गुरु महाराज जी तो अन्तर्यामी है
श्री गुरु महाराज जी कहने लगे भाई तेरी जगह पीछे है तू आगे क्या कर रहा है
तो वो कहने लगा पाशा आप अंतरयामी हो सब जानते हो तो गुरु महाराज जी कहने लगे फिर भी बता
कहने लगा पाशा घर में औलाद नहीं आप कृपा करो..
श्री गुरु महाराज जी गंभीर हो गए दो मिनट तक चुप कर गए दो मिनट तक ऊपर देखने के बाद
ये घटना इतिहास में लिखी हुई
श्री गुरु महाराज जी ने इस प्रकार हाथ हिलाकर कहा
अभी नहीं ...
वो प्रेमी सिदकी था
कहने लगा सत वचन पातशाह और सेवा पूरी करके घर आ गया अपने घरवाली से कहता है श्री गुरु महाराज जी ने कहा है अभी नहीं कोई कारण... होगा कुछ समय बीता घर वाली के उकसाने पर फिर गया श्री गुरु महाराज जी के
पास क्योंकि घरवाली की संगत ठीक नहीं है आसपास की जो सहेलिया है वह उसे भड़कती है कि तुम्हारा गुरु पूरा नहीं है
हमारे साथ चलो पीर बाबा के पास
प्रेमी कहता है मैं गुरु को छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा
चला गया गुरु के पास फिर से बेनती की
श्री गुरु महाराज जी फिर से गंभीर हो गए दो मिनट ऊपर देखने के बाद कहने लगे अभी नहीं
इस प्रकार जब तीन बार ऐसे हो गया...
तीन बार कई महीने बीत गए
तो घर वाली कहने लगी श्री गुरु महाराज जी
के घर में किस बात की कमी है ??
सहेलियों के उकसाने पर कहने लगी अगर वह समरथ
होते तो दे देते समरथ नहीं है इसलिए नहीं दे सकते
वो प्रेमी का मन भी डोल गया
कहने लगा हां सच है अगर गुरु पूरा होता तो झोली भर देता बारबार कह देते अभी नहीं अगर दे सकते तो दे देते
डोल गया उसका भी मन
घरवाली से कहता है बताओ क्या करना है घरवाली कहती है वो पीर बाबा है उसके पास चलो
मेरे साथ ...वो भी चल पड़ा...
यहां हमारे रहबर जी के वचन याद आ गए
की ..अगर धन चला जाए तो समझो कुछ भी नहीं गया क्योंकि वापस आ जाएगा धन की फितरत है
आना और जाना अगर सेहत चली जाए तो समझो कुछ कुछ
गया पर अगर गुरु से श्रद्धा चली जाए समझो सब कुछ चला गया
अब यह प्रेमी गुरु से श्रद्धा गवा
बैठा
इस दिन से डरना चाहिए यह दिन हमारी जिंदगी में कभी भी आ सकता है किसी की भी जिंदगी में आ सकता है
अगर कोई दुख आ जाए वो जाए ना...
विनती करने के बाद भी ना जाए तो कहते हैं
तो हम कहते है गुरु अधूरा है
हमारा मन डोल जाता है बहुत बार ऐसा होता होगा सबके जीवन में ...
भगत फरीद जी तो यहां तक कहते
हैं कि मुझ पर तरस करना मेरे गुरु
मैं तुझे छोड़कर कभी किसी और दर पर ना जाऊं
दूसरे के दरवाजे पर बैठना पड़े ऐसा समय मत दिखाना पर अगर मेरी किस्मत में लिखा है कि
किसी दिन मुझे किसी और के दरवाजे पर जाना पड़ेगा तो उस दरवाजे से पहुंचने से पहले मेरी जान निकाल लेना
अब ये दोनों प्रेमी और उसकी घरवाली
पहुंच गए पीर बाबा के पास
पीर बाबा ने कोई मंत्र दिया और कहा कि फलानी शमशान घाट में जाकर कबर के ऊपर दिया जलाओ
घर में औलाद हो जाएगी
ये दोनों गए दिया जलाया जैसे कहा था
किया सचमुच एक साल के अंदर अंदर इनके घर में औलाद हो गई
अब तो इन्हें यकीन हो गया कि पीर बाबा बड़ा है श्री गुरु महाराज जी छोटे हैं