दिव्य महान गान ‘तिरुप्पावै', श्रीगोदा की अमृत-वाणी ।
व्रज वनिताओं के समान यह, कृष्ण प्रेम की अमर कहानी ॥
तीस छन्द मधुर अति सुन्दर, प्रेम-भक्ति की अविरल धारा ।
'तिरुप्पावै' पावन प्रबन्ध है, श्रीवैष्णवजन को अति प्यारा !
गोदा रचित महान ग्रन्थ यह, प्रेम-भक्ति- श्रद्धा का सार ।
श्रीगोदा श्रीरंगनाथ की, सब मिल बोलो जय जयकार ।।
हम सब मिल कर श्रीगोदा, की पावन गाथा गाते हैं |
श्रीगोदा श्री रंगनाथ के, चरणन शीश झुकाते हैं ।
करे कृपा हम सब पर भगवन्, जैसे गोदाम्बा पर की
जैसे प्रभु उनको अपनाया, श्रीचरणों की सेवा दीं ।
श्रीरङ्गम् वृन्दावन पुष्कर, धन्विनपुर गोदा दरबार ।
श्रीगोदा- श्रीरंगनाथ की, सब मिल बोलो जय जयकार ॥
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