यह डॉक्युमेंट्री मौरितानिया में उन तस्करों के नक्शेकदम खंगालती है जो गरीबी से मुनाफा कमाते हैं. वे पश्चिमी अफ़्रीका से यूरोप जाने के इच्छुक लोगों को ले जाने के लिए तस्करी का इंतजाम करते हैं. क्या वे इस खतरनाक यात्रा पर इन लोगों की मदद कर रहे हैं या फिर 16वीं शताब्दी में गुलामों की बिक्री करने वाले व्यापारियों जैसे हैं जो ट्रांस-अटलांटिक गुलाम-व्यापार के वक्त पश्चिमी देशों के साथ थे?
16वीं सदी में गुलामों के व्यापार ने पश्चिम अफ्रीका के अधिकांश हिस्से को बुरी तरह प्रभावित किया. 21वीं सदी के अफ्रीका से भी पलायन इसी रास्ते पर चल रहा है. इस सब के केंद्र में वे लोग हैं जो आर्थिक फायदा उठाते हैं. अब्दुर्रहमान एक मौरितानियाई दलाल हैं. वह अपनी नाव से युवाओं के एक समूह को अटलांटिक के पार यूरोप में ले जाते हैं. अपने इस काम में वह हमें भी शामिल करने को राज़ी हैं. इस नाव के अनुभवी कप्तान हैं अब्देरहमान. उन्हें पता है कि समुद्र पार करने वाली एक छोटी सी नाव में अपनी जान को कितना खतरा है.
यह डॉक्युमेंट्री गुलाम-व्यापार और आज की तस्करी में समानताओं और अंतरों को उजागर करती है. यह जरूरी सवाल उठाती है कि आज के जमाने में भी ऐसा क्यों हो रहा है? क्या नए और पुराने अनुभव व नतीजे एक जैसे हैं? एक ओर बेड़ियों में बंधे गुलामों का अनैच्छिक पलायन है, जहां उन्हें पश्चिमी देशों में जाने के लिए मजबूर किया जा रहा था तो दूसरी तरफ, आज के वक्त में खुद की मर्जी और अवैध तरीके से पश्चिमी देशों में पहुंच रहे लोग शोषण की ओर जा रहे हैं. फिर भी खतरों, चेतावनियों और खुले हाथों से स्वागत ना किए जाने के बावजूद, कई प्रवासी अटलांटिक महासागर और भूमध्य सागर को पार कर गलत तरीकों से यूरोप जाने के लिए बहुत पैसा खर्च करते हैं और अपनी जान को जोखिम में डालते हैं.
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