चार सूत्रों में जीवन का सार | #story #buddha #moralstories #motivation
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दर्शक बंधु आगे बढ़ने से पहले आपको बता दें कि गरुड़ पुराण में कहा गया है कि कथा हो या सीख अगर बीच में छोड़ दिया जाता है तो वह पाप की श्रेणी में आता है।
आज के इस वीडियो में हम जानेंगे मजबूरियों को देखने का सही तरीका क्या है एक व्यक्ति के जीवन में ऐसी स्थितियां होती है जहां व्यक्ति कुछ करने में सीमित रह जाता है उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं होता ऐसी स्थिति में हम जो करना चाहते हैं हम वह चाहकर भी नहीं कर पाते आज की यह बौद्ध कहानियां आपको प्रेरित करेंगी जीवन में चाहे जैसे भी हालत हो आपको घबराना नहीं है बल्कि मजबूती और समझ से समाधान खोजना है और जीवन में आगे बढ़ना है पर इससे पहले कि आप इस कहानी में खो जाएं आपसे गुजारिश है कि इस वीडियो को लाइक और चैनल को सब्सक्राइब जरूर कर ले नमो बुद्धाय एक दूर दराज गांव में एक गरीब परिवार था वो इतना गरीब थे कि उनके पास खाने के लिए भी कुछ नहीं था उन्होंने काफी कोशिश की कि काम मिले मगर काम नहीं मिला उनके दो बच्चे थे बीवी थी एक दिन उन्हें विचार आया कि इस गांव में काम मिलना मुश्किल है चलो कहीं और चलते हैं इस इरादे से वे एक दिन गांव से चल दिए रात का समय था रास्ता भी जंगली था उन्होंने सोचा की वृक्ष के नीचे रात गुजारी जाए आदमी ने अपने एक बालक को लकड़ चुनने तथा दूसरे को पानी लाने के लिए भेज दिया तथा बीवी को चूल्हा बनाने के लिए कहा और उसने जगह साफ कर दी चारों ने अपने अपने काम कर लिए चूल्हा जलाया गया पानी गर्म होने लग गया वृक्ष के ऊपर एक हंस रहता था वह सोचने लगा कि यह कैसा मूर्ख है इन्होंने चूल्हा तो जला दिया मगर इनके पास पकाने को तो कुछ है ही नहीं हंस ने उनसे पूछा तुम्हारे पास पकाने को क्या है वह आदमी बोला तुझे मार के खाएंगे हंस बोला मुझे क्यों मारोगे आदमी बोला हमारे पास ना पैसा है और ना ही सामान तो क्या करें हंस सोचने लगा कि इन्होंने चूल्हा भी जला लिया है मुझे तो यह लोग खा ही जाएंगे तो हंस बोला अगर मैं आपको धन दे दूं तो मुझे जाने दोगे घर का स्वामी बोला हां जाने देंगे हंस कहने लगा मेरे साथ चलो मैं तुम्हें धन देता हूं हंस उनको कुछ दूर ले गया और चोंच से इशारा किया और कहा कि यहां से निकाल लो उन्होंने जमीन को खोदा और वहां से धन निकाल लिया वह हंस का धन्यवाद करके वापस अपने गांव आ गए वह अब मौज से रहने लग गए थे अब उनके घर में किसी चीज की कमी नहीं थी बाजू वाले ने देखा कि इस परिवार के पास ऐसी कौन सी चीज आ गई जो इनके पास इतना कुछ आ गया पड़ोसियों ने उनके छोटे बच्चे को बुलाकर सारी बात पूछ ली कि पैसा कहां कहां से आया है उनके भी दो बच्चे थे उन्होंने भी ऐसी योजना बनाई और चल दिए वह भी उसी वृक्ष के नीचे पहुंच गए उस आदमी ने अपने ज्येष्ठ पुत्र को सुखी लकरी लाने को कहा तथा छोटे बेटे को पानी लाने के लिए कहा परंतु दोनों आनाकानी करने लगे बीवी ने भी कहा कि मैं थक चुकी हूं जैसे-तैसे उसने पानी और लकड़ी इकट्ठी कर ली और पानी गर्म होने लगा हंस फिर आया और बोला तुम्हारे पास खाने को तो नहीं है तो फिर क्यों पानी गर्म कर रहे हो आदमी बोला तुझे मार कर खाएंगे हंस मुस्कुरा उठा और बोला मारने वाले तो तीन दिन पहले आए थे तुम अपना समय खराब मत करो घर जाओ तुम मुझे क्या मारोगे तुम तो आपस में ही झगड़ा कर रहे हो जिन्हें दूसरों को जीतना होता है वे खुद नहीं झगड़ते संसार का नियम भी ऐसा ही है जिन लोगों ने तरक्की करनी है वे मिलकर चलते हैं और आज भी संसार में उनका ही बोलबाला है जो आपसी तालमेल में रहते हैं व ही समाज रूपी हंस को जीत सकते हैं किसी नगर में शेरा नामक एक धनी व्यक्ति रहता था वह बहुत स्वार्थी था और सदाचार के कार्यों से कोसों दूर रहता था उसका एक पड़ोसी था जो निर्धन था परंतु परोपकारी भी था एक बार उस पड़ोसी ने भगवान बुद्ध और उनके शिष्यों को अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित किया उसने यह भी विचार किया कि इस महान अवसर पर ज्यादा से ज्यादा लोगों को भोजन के लिए बुलाना चाहिए ऐसे संकल्प के साथ उसने विशाल भोज की तैयारी करने के लिए नगर के सभी व्यक्तियों से दान की अपेक्षा की और उन्हें भोज के लिए आमंत्रित किया उसने ने शेरा को भी न्यौता दिया भोज के एक दो दिन पहले पड़ोसी ने दान एकत्र किया जिसकी जैसी सामर्थ्य थी उसने उतना दान दिया जब शेरा ने उसे घर-घर जाकर दान की याचना करते दे तो मन ही मन सोचा इस आदमी से खुद का पेट तो पलता नहीं है फिर भी इसने इतने दिग्गज भिक्षु संघ और नागरिकों को भोजन के लिए आमंत्रित कर लिया अब इसे घर-घर जाकर भिक्षा मांगनी हो रही है यह मेरे घर भी याचना करने आता होगा जब वह पड़ोसी शेरा के द्वार पर दान मांगने के लिए आया तो उसने पड़ोसी को जरा सा नमक शहद और घी दे दिया पड़ोसी ने भी प्रसन्नता पूर्वक उससे दान ग्रहण किया परंतु उसे अन्य व्यक्तियों के दान में नहीं मिलाया बल्कि अलग से रख दिया शेरा को यह देखकर बहुत अचरज हुआ कि उसका दान सभी के दान से अलग क्यों रख दिया गया उसे यह लगा कि पड़ोसी ने सभी लोगों के सामने उसे लज्जित करने के लिए ऐसा किया ताकि सभी यह देखें कि इतने धनी व्यक्ति ने कितना तुच्छ दान दिया है शेरा ने अपने नौकर को पड़ोसी के घर जाकर इस बात का पता लगाने के लिए कहा नौकर ने लौटकर उसको को बताया कि पड़ोसी ने शेरा की दान सामग्री को जरा जरा सा लेकर चावल सब्जी और खीर आदि में मिला दिया यह जानकर भी शेरा के मन से जिज्ञासा नहीं गई और उसे अभी भी पड़ोसी की नियत पर संदेह था भोज के दिन वह प्रातः अपने वस्त्रों के भीतर एक कटार छुपाकर ले गया ताकि पड़ोसी द्वारा लज्जित किए जाने पर वह उसे मार दे वहां जाने पर उसने पड़ोसी को भगवान बुद्ध से यह कहते हुए सुना बुद्ध भोज के निमित्त जो भी द्रव्य संग्रहित किया गया है वह मैंने नगर के सभी निवासियों से दान में प्राप्त किया है कम हो या अधिक सभी ने पूर्ण श्रद्धा और उदारता से दान दिया है अतः सभी के दान का मूल्य सामान है