दूर तक फैले पानी के विस्तार के नीचे एक पूरी सभ्यता दफ़्न है, इतिहास का एक काल-खंड दफ़्न है और दफ़्न है एक ऐसा शहर जहां कभी तीन नदियाँ मिला करती थी. वो शहर जहां राजे-रजवाड़े और सामंत भी रहे तो कई संग्रामी और साहित्यकार भी. शहर, जो यक्ष, गंधर्व, भिल्ल-किरात जैसी आदिम जनजातियों की रंगभूमि रहा, नाग और खसों की कर्मभूमि रहा, वीर-योद्धाओं की समरभूमि रहा और क्रांतिकारियों की शहादत का गवाह भी. एक ऐसा शहर जिसने गुमानी, मोलाराम, मूरक्रोफ़्ट, विल्सन, स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद और स्वामी रामतीर्थ जैसे लोगों का खूब आतिथ्य किया लेकिन मुग़ल कभी यहां दाखिल भी नहीं हो सके.
हम बात कर रहे है उस टिहरी शहर की जिसके बसने और उजड़ने, दोनों की अपनी अलहदा कहानी है...
Frederick Wilson | पहाड़ का फिरंगी राजा:
https://youtu.be/DKXj9IquKfQ?si=_5SfazNh5roOStxq
जब एक अंग्रेज अधिकारी शैमियर ने किया टिहरी रियासत पर राज | Pratapnagar:
https://youtu.be/zY2t1bhd0Y0?si=xQPBBWnbAHJXTfen
क्रांति में बदल गई जब एक शव यात्रा | टिहरी की जनक्रांति:
https://youtu.be/UbUNsFeBiBM?si=cI2BRuCnkpdPUjsL
TEHRI | टिहरी
OLD TEHRI | पुरानी टिहरी
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