नमस्कार
द लाइफ ऑफ स्वामी विवेकानंद
बाय हिज ईस्टर्न एंड वेस्टर्न डिसिपल्स
भाग 2
Establishing the American Work
अमेरिकन कार्य का सुदृढीकरण
एपिसोड 4, अध्याय का अंत
पिछले भाग मे हमने स्वामीजी के 23 फरवरी 1896 को न्यूयॉर्क के मैडिसन स्क्वायर गार्डन में दिये गए अपने प्रसिद्ध व्याख्यान "माई मास्टर" के अद्भुत प्रस्तुतीकरण को सुना । यह व्याख्यान उनके गुरु, श्री रामकृष्ण परमहंस को समर्पित था और उनकी शिक्षाओं की गहराई को दर्शाता था। इस आयोजन में हजारों श्रोता उपस्थित थे, जिनमें समाज के प्रतिष्ठित विचारक और विद्वान शामिल थे। उनके वाक्-कौशल और ओजस्वी तर्कों ने न केवल पश्चिमी जगत में वेदांत की मजबूत नींव रखी, यह व्याख्यान उनकी आध्यात्मिक यात्रा का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, जिससे उन्होंने हजारों लोगों को धर्म, प्रेम और ज्ञान के मार्ग पर प्रेरित किया।
इस भाग में हम जानेंगे कि स्वामी विवेकानंद का लक्ष्य वेदांत के तीन चरणों—द्वैत, विशिष्टाद्वैत और अद्वैत—को स्पष्ट रूप से वर्गीकृत कर उनके बीच की संगति को दर्शाना था। वे भारतीय आध्यात्मिकता को वैज्ञानिक और तार्किक रूप में पश्चिमी जगत के सामने प्रस्तुत करना चाहते थे। उनके विचारों ने हार्वर्ड और कोलंबिया जैसे विश्वविद्यालयों के विद्वानों को प्रभावित किया। लेकिन अत्यधिक परिश्रम और सतत व्याख्यानों ने उनके स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाला। फिर भी, अपनी अटूट निष्ठा और अद्वितीय ऊर्जा से उन्होंने वेदांत के संदेश को वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित किया, जिससे आध्यात्मिक जागरण की नई लहर उत्पन्न हुई।
स्वामी विवेकानंद की अद्भुत जीवन यात्रा का हिस्सा बनने के लिए इस भाग को अंत तक सुनें।
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अब आगे की गाथा सुनते हैं,
जय स्वामी विवेकानंद