नमस्कार
द लाइफ ऑफ स्वामी विवेकानंद
बाय हिज ईस्टर्न एंड वेस्टर्न डिसिपल्स
Part 2
BACK TO LONDON-2
स्वामीजी की लन्दन वापसी-2
एपिसोड 1
पिछले भाग में हमने स्वामी विवेकानंद की यूरोप यात्रा के अद्वितीय अनुभवों को सुना । एक घटना में, जब वे स्विट्जरलैंड में टहल रहे थे, उनका अल्पेनस्टॉक गहरी दरार में फंस गया, जिससे वे खाई में गिरने से बाल-बाल बचे। इसे उन्होने ईश्वरीय कृपा कहा । इस अनुभव के बाद उन्होंने पर्वतीय गिरजाघर में वर्जिन मैरी के चरणों में फूल अर्पित करने का अनुरोध किया। यह उनकी गहरी आध्यात्मिकता और सार्वभौमिक भक्ति को दर्शाता है। इस यात्रा में उन्होंने प्रोफेसर डॉयसेन से भी मुलाकात की, जिनके साथ उन्होंने वेदांत दर्शन पर गहन चर्चा की, जिससे भारतीय अध्यात्म की पश्चिमी दुनिया में गहरी छाप पड़ी।
इस भाग में हम सुनेंगे कि स्वामी विवेकानंद इंग्लैंड लौटकर अपने मिशन को नए जोश से आगे बढ़ा रहे थे। लंदन में उन्होंने वेदांत के व्यावहारिक और दार्शनिक पहलुओं पर गहरे व्याख्यान दिए। एक महत्वपूर्ण घटना में, उन्होंने "माया और स्वतंत्रता" विषय पर इतना प्रभावशाली व्याख्यान दिया कि श्रोता आत्मविभोर हो गए। प्रोफेसर ड्यूसेन और मैक्स मूलर जैसे विद्वानों ने उनके विचारों की सराहना की। उन्होंने स्वामी अभेदानंद को प्रशिक्षण देकर भविष्य की जिम्मेदारी सौंपी। इसके अलावा, उन्होंने भारतीय शिष्यों को पत्र लिखकर कार्यों का मार्गदर्शन किया और महिला मठ स्थापना की योजना बनाई। निस्संदेह उनका उद्देश्य पश्चिम और भारत में वेदांत का प्रभावी प्रसार करना था।
स्वामी विवेकानंद की अद्भुत जीवन यात्रा का हिस्सा बनने के लिए इस भाग को अंत तक सुनें।
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अब आगे की गाथा सुनते हैं,
जय स्वामी विवेकानंद